अज्ञानता में लोग हो रहे हैं कैंसर का शिकार सीएमओ

कैंसर जागरूकता को लेकर आयोजित की गई संगोष्ठी 

संजय मौर्य 

कानपुर कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने, लोगों को शिक्षित करने के लिए प्रति वर्ष 4 फ़रवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। सभी के सामूहिक प्रयासों से कैंसर के प्रति जागरूकता लाई जा सकती हैं। साथ ही व्यक्तिगत प्रयासों द्वारा हम स्वयं का कैंसर से बचाव कर सकते हैं, जो उतना ही महत्वपूर्ण है जितना सामूहिक प्रयास है। यह बातें सोमवार को मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ अनिल मिश्र ने विश्व कैंसर दिवस की श्रंखला में जिला पुरुष अस्पताल, उर्सला में आयोजित संगोष्ठी में कहीं। कार्यक्रम में उपस्तिथ जेके कैंसर संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ एके दीक्षित ने बताया कि हमारा शरीर कोशिकाओं (सेल) से बना होता है  

जब यह कोशिकाएं अनियंत्रित तौर पर बढ़ती हैं और पूरे शरीर में फ़ैल जाती हैं  और शरीर के बाकी अंगों को प्रभावित करती हैं इस प्रकार उन हिस्सों पर कोशिकाओं का ट्यूमर या गांठ बन जाता है इस अवस्था को कैंसर कहते हैं| पूर्व मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ राम बाबू, ने कहा कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का सही समय पर लक्षण पहचान लेना और सही इलाज लेना बहुत जरूरी है कैंसर का शुरूआती दिनों में इलाज होना संभव होता है| साथ ही 30 वर्ष की आयु के बाद सालाना स्वास्थ्य परिक्षण कराना बहुत जरूरी है 

'मैं हूँ और रहूंगा' के संकल्प के साथ कैंसर से करें बचाव 

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व एनसीडी के नोडल डॉ महेश कुमार ने बताया पिछले कुछ वर्षों से कैंसर के रोगियों में इजाफा भी देखने को मिल रहा है। इसलिए जागरूकता होने की विशेष जरूरत है, ताकि इस बीमारी से बच सकें। फिलहाल कैंसर की बीमारी से अब डरने की जरूरत नहीं है। अगर बचाओ सही ढंग से कर लिया जाए तो फिर इस बीमारी से छुटकारा भी मिल सकता है। उन्होंने बताया किसी भी व्यक्ति के शरीर में कहीं भी किसी भी हिस्से में गांठ का होना, बुखार आना, भूख में कमी हड्डियों में दर्द, खांसी या मुंह से खून आना अगर किसी भी व्यक्ति के लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो उसे तुरंत डक्टर से संपर्क कर सलाह लेनी चाहिए। 

इस मौके पर राष्ट्रीय ओरल स्वास्थ्य कार्यक्रम में कार्यरत डॉ सचिन श्रीवास्तव, जिला महिला अस्पताल में संचालित सम्पूर्णा क्लीनिक की डॉ पूनम मित्तल व डॉ संतोष कुमार निगम, एनसीडी कार्यक्रम में कार्यरत डॉ मेहरोज़ अख्तर, चिकित्सालय की नर्सिंग छात्रायें व समस्त स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत एनसीडी कार्यक्रम के चिकित्सक मौजूद रहें। 

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