रोटी तिजोरी में कैद ना हो
मंजुल भारद्वाज
किसान लड़ रहे हैं
ताकि देश की मिटटी बची रहे!
किसान लड़ रहे हैं
ताकि देश की जमीन ना बिके!
किसान लड़ रहे हैं
ताकि फ़सल और नस्ल बची रहे!
किसान लड़ रहे हैं
ताकि रोटी तिजोरी में कैद ना हो!
किसान लड़ रहे हैं
ताकि सत्य की जय हो!
किसान लड़ रहे हैं
ताकि देश में लोकतंत्र बचा रहे!
किसान लड़ रहे हैं
ताकि संविधान बचा रहे!
किसान लड़ रहे हैं
ताकि तंत्र लोक की सुने!
किसान लड़ रहे हैं
ताकि भगतसिंह की शहादत व्यर्थ ना हो!
किसान लड़ रहे हैं
ताकि गांधी का भारत हो!
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