सूत्र संचालन है संविधान

 आत्मबोध

-मंजुल भारद्वाज

प्रकृति की एकात्मकता को

विखंडित करने का

षडयंत्र है धर्म

ज़िंदा कौम को पराधीनता के

चक्रव्यूह में फंसाने का

जाल है धर्म

मनुष्यता को लहूलुहान करने का

पाषाण युगीन शस्त्र है धर्म !

धर्म हमेशा संकट में रहता है

धर्म से उपजे अवतार

हमेशा युद्ध के लिए

सभ्यताओं को उकसाते हैं

क़त्ल-ओ-ग़ारत को

इतिहास में दर्ज़ करा

भगवान बन जाते हैं !

अस्मिता,क्षेत्रवाद,राष्ट्रवाद

समूह, समाज और राष्ट्र के

आत्मघाती भावावेग हैं !

प्रकृति के घटनाक्रम को

समझने का शास्त्र है विज्ञान

विज्ञान से उपजी तकनीक

भोग और विध्वंस का मार्ग है!

मनुष्य में इंसानी बोध

जगाने का सौन्दर्य है कला !

वैचारिक सत्ता को

वर्चस्व के द्वंद्व को

मानवीय भोग,विलास

लोभ, लालच को

विवेक सम्मत बनाने का

मार्ग है अध्यात्म

आत्मशोध है अध्यात्म

स्वयं को समस्त ब्रह्मांड से

जोड़ने की प्रकिया है अध्यात्म !

न्याय, समता, अधिकार का

राजनैतिक, प्रशासनिक

लोकतांत्रिक, संसदीय

सूत्र संचालन है संविधान 

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