छह सौ घरों में अल्फ़ा साईपर मेथरीन का छिड़काव

कालाजार से बचाव के लिए तीन ब्लॉकों से शुरू हुआ अभियान 

वशिष्ठ मौर्य 

देवरिया। जिले आठ ब्लॉकों के 48 कालाजार प्रभावित गांवों में 15 फरवरी से कालाजार के वाहक बालू मक्खी से बचाव के लिए दवा का छिड़काव शुरू कर दिया गया है। सोमवार और मंगलवार को दो दिनों में जिले के पथरदेवा, बनकटा, भाटपाररानी ब्लॉक के कालाजार प्रभावित करीब 600 घरों में अल्फ़ा साईपर मेथरीन की पांच फीसदी दवा का छिड़काव किया गया। 

छिड़काव अभियान में लगे वेक्टर बार्न डिजीज (वीबीडी) प्रोग्राम परामर्शदाता डॉ. एसके पांडेय  ने बताया कि चिह्नित गांवों में छिड़काव व निरोधात्मक कार्य लगातार जारी है। वेक्टर जनित रोग नियंत्रण हेतु अल्फ़ा साईपर मेथरीन पांच फीसदी  दवा का छिड़काव कराया जा रहा। कालाजार दवा छिड़काव में 10 टीम में 60 कर्मी लगाए गए हैं। अभियान में संबंधित क्षेत्र की आशा एवं एएनएम सहयोग करेंगी। इस संबंध में सभी को प्रशिक्षण दिया गया है। 

जिले के बनकटा, पथरदेवा, भटनी, भाटपाररानी, बैतालपुर सई देवरिया, भलुअनी, लारब्लाक के 48 कालाजार प्रभावित गांवों में छिड़काव कार्य कराया जा रहा है, जो 14 अप्रैल तक चलेगा। पथरदेवा के धुसवा गांव, बनकटा के जानकी कुटिया  गांव और भाटपाररानी के धरमखोर  गांव में मंगलवार को छिड़काव कार्य कराया गया है। बनकटा ब्लॉक में तीन टीम, पथरदेवा ब्लॉक में एक टीम और भाटपाररानी में एक टीम छिड़काव कार्य में लगी है। प्रत्येक टीम को प्रति दिन 60 घरों में छिड़काव करना है। उन्होंने बताया कि कालाजार रोग बालू मक्खी के काटने से होता है। 

बालू मक्खी को जड़ से समाप्त करने हेतु ही दवा का छिड़काव किया जा रहा है। बालू मक्खी जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती हैं। इसलिए छिड़काव घर के अंदर छह फीट तक कराना है। छिड़काव के बाद तीन माह तक घर में पुताई नहीं करनी चाहिए। छिड़काव कार्य के दौरान डब्लूएचओ के जोनल कोआर्डिनेटर डॉ. सागर घोडेकर, वरिष्ठ मलेरिया अधिकारी ताज मुहम्मद, हेल्थ इन्स्पेक्टर रवि प्रकाश  सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

क्या है कालाजार

वेक्टर वार्न डिजीज विशेषज्ञ डॉ. एसके पांडेय ने बताया कि कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। यह छह फीट ही उड़ पाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। लक्षण दिखने पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर काला पड़ जाता है।

घर में करें छिड़काव

सीएमओ डॉ. आलोक पांडेय ने लोगों से अपील की है कि बालू मक्खी से बचाव के लिए घरों में दवा छिड़काव अवश्य करवाना चाहिए, जिससे मक्खियां मर जाए। जिले के आठ ब्लॉकों  में करीब 24224 घरों में आईआरएस ( अंदुरूनी अवशिष्ट छिड़काव) छिड़काव कराया जा रहा है। इससे करीब एक लाख 33 हजार से अधिक की आबादी को सुरक्षित किया जाएगा।

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