सवैया सूर्यकान्त अंगारा की۔۔




सूर्यकान्त 'अंगारा' 

जो बप्पा को बप्पा न बोले कभी तो कन्हइया - कन्हइया वो कइसे कहेंगे l

जो बहना का कहना कभी न किए हैं तो भइया को भइया वो कइसे कहेंगे l

जउन पाप की ऊंची हवेली करिन वहिका छोटकी मड़इया वो कइसे कहेंगे l

जो मइया को  मइया नहीं  मानते हैं तो  गइया  को मइया वो कइसे कहेंगे l


नसा नाहक नासि करय घर बारु दुवारु व प्यार दुलार हे भाई l

जग हास करै उपहास करय मान खोवति बीच बजार हे भाई l

यहु जीवनु है अनमोल बडा़ व्यर्थ जावै नहीं है उज्यार हे भाई l

नसा मुक्त करव सुख युक्त करौ प्रेम भाव से है संसार हे भाई l


यहु देसु वहै मित्र प्रेम बदे खाये हैं कृष्न जी जूठी भात जहाँ पै l

सब हारि गये राजा राजभवन पर हारे नहीं कउनो बात जहाँ पै l

देवभूमि सपूतन की जननी सिंह को दे दिये हैं जो मात जहाँ पै l

यहु देसु वहय  रजनी  के गये रवि देत  पहिल  परभात जहाँ पै l


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