दर्दनाक बस हादसा में 51 यात्रियों की मौत

पारसनाथ प्रजापति

सीधी। बस दुर्घटना में अब तक 51 शव निकाले जा चुके है। 4 लोग अब भी लापता बताये जा रहे हैं। इस हादसे में 7 लोग सकुशल बाहर निकल गये हैं। दिल दहला देने वाली इस दुर्घटना से आज आसमान भी रो रहा है। 51 लोगों की मौत जहाँ जिस नहर में हुई है वहाँ का जर्रा-जर्रा इंसाफ की मांग कर रहा है। 51 बेकसूर लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है? यह सवाल अब सबकी जुबान पर कौतूहल कर रहा है। ह्रदय विदारक घटना के पीछे के कारणों की जाँच फिलहाल चल रही है लेकिन बेकसूरों को मिली मौत की सजा के दोषियो को सजा मिलेगी भी या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता। सरकार ने नियम तय किये है कि 32 सीटर बसों को अधिकतम 75 किमी के रूट का परमिट दिया जा सकता है। सीधी में हादसे का शिकार हुई बस भी इसी क्षमता की थी, लेकिन वह सीधी से सतना के बीच 138 किमी का सफर तय कर रही थी। नियम के खिलाफ जाकर बस को ये परमिट किसने दिया? 32 सीटर बस में 62 मुसाफिर भरे गए परिवहन विभाग कहाँ था। यात्री बसों में सवारी भेड़ बकरियो की तरह हमेशा भरे जाते हैं, परिवहन विभाग सब कुछ देखकर भी आँखों पर पट्टी बांध लेता है। 

क्या आम आदमी के जान की कीमत मात्र दो आँशु!

चुनाव के समय जिस व्यक्ति की कीमत नेताओं की नजर में भगवान से भी ज्यादा रहती है चुनाव जीतने के बाद उनके लिए एक सड़क भी नसीब नहीं हो सकती। छुहिया घाटी कई वर्षों से क्षतिग्रस्त है और रोड चौड़ी भी नहीं है जिसके कारण वहाँ हमेशा जाम लगा रहता है इसी कारण परीक्षा देने जा रहे क्षात्रों को समय से पहुंचाने के लिए ड्राइवर ने शार्ट कट रास्ता अपनाया और बस जिगना की तरफ से घूम कर गई। जिसमे नहर के किनारे किनारे कई किलोमीटर तक चलना पड़ता है एवं वहां की भी रोड खराब होने की वजह से बस पलटी और नहर में समा गई और इतनी बड़ी दुर्घटना हो गई। 

मुख्य मार्ग वर्षो से ख़राब है, जाम के कारण शार्ट कट अपनाया गया जो सीधे मौत के मुँह में ले गया। नेशनल हाईवे ध्वस्त हैं। लोगों को मात्र अस्वासन मिल रहे हैं, क्या इसकी जिम्मेदार सरकार नहीं है? इतनी बड़ी दुर्घटना में ड्राइवर कि जान बच गयी, ड्राइवर तैरकर बाहर आ गया ड्राइवर को मात्र अपनी जान कि चिंता थीं। क्या उसने सवारियों कि जान बचाने कि कोशिश की? हादसे के जिम्मेदार घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। सड़को के निर्माड़ के लिए आम जनता को आंदोलन करना पड़ता है लेकिन आंदोलन का भी कुछ फर्क सरकार पर पड़ता है? जिम्मेदारो पर कार्यवाही कि दरकार है।

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