जान जोखिम डालकर बांस के पुल से रोंगटे खड़े कर देने वाली यात्राएं

 बीघापुर की दो ग्राम सभाओं में विकास शून्य?

उन्नाव। बीघापुर तहसील क्षेत्र के पांडु नदी व गंगा नदी के मध्य बसी दो ग्राम सभा के मजरो में आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। दोनो नदियों के मध्य बीघापुर विकास खंड की ग्राम सभा लाला खेड़ा व सुमेरपुर विकास खंड की दुली खेड़ा विकास की बांट जोह रही है। वहीं तीन वर्ष पूर्व आई बाढ़ की विभीषिका में प्राथमिक विद्यालय गंगा की धारा में समा गया था। वही दूली खेड़ा को जोड़ने वाला पांडु नदी का पुल डेढ़ दशक पहले पांडु नदी की बाढ़ में आधा बह गया था। उसमे भी वहां के वासिंदे जान जोखिम डालकर बांस के पुल से रोंगटे खड़े कर देने वाली यात्राएं कर रहे है। 

बीघापुर तहसील क्षेत्र के दो विकास खंडों की ग्राम सभाएं गंगा व पांडु नदी के बीच में स्थित है। दोनों ग्राम सभा में लगभग 6000 मतदाता के साथ साथ लगभग 10000 की आबादी निवास ७० लोग जान जोखिम में डालकर पार करते हैं पांडु नदी पर बना पुल करती है। विकास की किरण से कोसों दूर गांव वासी अभी भी विकास के इंतजार की आशा लगाए है। सुमेरपुर विकासखंड के ग्राम सभा दूली खेड़ा से चैड़ा पुरवा सहित दर्जनों मजरों को जाने के लिए पांडु नदी पर लगभग दो दशक पूर्व बना पुल लगभग 15 वर्ष पूर्व पांडु नदी में बाढ़ के चलते आधा बह गया था। 

ग्रामीणों ने लकड़ी का पुल बना कर आवागमन किसी तरह चालू कर लिया। परंतु आए।  दिन लोगों को पुल से नीचे गिरने पर मजबूर होना पड़ता है।गंगा के किनारे सैकड़ों बीघा जमीन पर खेती करने वाले किसान लाचार मजबूर है। लोगों को पुल से जान जोखिम में डालकर आवागमन करना पड़ रहा हैं। ग्रामीणों की मानें कि दर्जनों बार जनप्रतिनिधियों से इसके निर्माण की मांग उठाई गई। परंतु मामला जैसा के तैसे ही बना हुआ है। 3 वर्ष पूर्व गंगा नदी में समा चुके बीघापुर विकास खंड के लाला खेड़ा के विद्यालय के छात्र मजबूर होकर अभी जनपद के गांव शिवराजपुर में पढ़ने के लिए जाने को मजबूर हैं।

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