कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ में आनाकानी क्यों? मोर्चा
विभागों के पुनर्गठन में कर्मचारी का अहित स्वीकार नहीं- मोर्चा
फरवरी की बैठक में आंदोलन की घोषणा
प्रितपाल सिंह
लखनऊ:-कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष वी पी मिश्र एवं महासचिव शशि कुमार मिश्रा ने कहा है कि विभागों में पुनर्गठन करने की मांग मोर्चा ने की थी परंतु राजीव कुमार, आईएएस (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट जो आ रही है उसमें कर्मचारियों की सेवाओं में लाभ के बजाय हानी दिखाई दे रही है, जिसे मोर्चा किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं करेगा।
द्वय नेताओं ने कहा कि मोर्चा के प्रस्ताव में कहा गया है की वेतन समिति की संस्तुतियों के अनुरूप पुनर्गठन कर के सातवें वेतन आयोग का लाभ दिया जाए ,परंतु ऐसा ना करके विभागों को कम करके कर्मचारियों की छटनी की भावना दिखाई दे रही है। जब विभाग कम किए जाएंगे तो कर्मचारियों के पद भी समाप्त हो जाएंगे।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया था की स्थानीय निकायों, राजकीय निगमों एवं विकास प्राधिकरण तथा राज्य कर्मचारी संवर्ग में संगठनों द्वारा दिए गए सुझाव के अनुरूप केंद्रीय कर्मचारियों की भांति पदनाम परिवर्तित करके सातवें वेतन आयोग का लाभ दिया जाए। यह भी सुझाव दिया गया था कि राजकीय निगमों में घाटे के नाम पर सातवें वेतन आयोग के लाभ से वांछित रखा गया है। कुछ निगम में चौथा वेतन आयोग कुछ में छठा वेतन आयोग का लाभ मिल रहा है। मोर्चा का सुझाव था कि जो निगम बिल्कुल निष्क्रिय हैं उन्हें बंद करके उनके कर्मचारियों को संबंधित विभागों में समायोजित किया जाए। जिससे कि उन्हें भी सातवें वेतन आयोग का लाभ मिल सके और उनकी सेवाएं भी सुरक्षित रहें।
स्थानीय निकायों में राज्य कर्मचारियों की भांति पदनाम परिवर्तित करके संवर्ग का पुनर्गठन किया जाए। ऐसे ही विकास प्राधिकरण में परिवर्तित कर के सातवें वेतन आयोग का लाभ दिया जाए। यही व्यवस्था शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के लिए भी किया जाए।
श्री वी पी मिश्रा ने खेद व्यक्त किया है कि मुख्य सचिव स्तर की कई बैठकों के निर्णय को लागू नहीं किया गया है। जिससे कि प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी एवं शिक्षक नाराज़ एवं आक्रोशित हैं। जब राज्य सरकार ने संकल्प जारी किया ताकि सभी को सातवें वेतन आयोग का लाभ दिया जाएगा फिर लागू करने में आनाकानी क्यों?
अध्यक्ष एवं महासचिव ने चेतावनी दी है कि कर्मचारियों के भविष्य के साथ उपेक्षा की जा रही तो मोर्चा को बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। इस संबंध में फरवरी में मोर्चा की बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
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