विश्व बाल दिवस पर पूछते हैं भारत के बच्चे
बाल सुलभ मन को आक्रामकता के गर्त में धकेलने का दोषी?
पुनीता कुशवाहा
कानपुर l आज के दौर में न केवल बच्चे गुस्सैल हो गए हैं बल्कि यह हिंसक गुस्सा कई बार उद्दंडता में प्रगट होता रहता है पहले माता-पिता को भाने वाला गुस्सा एवं बाल हट आज विद्रोही तेवर में परिवर्तित हो गया है 21वीं सदी के बच्चों को बैडमिंटन, बाल रैकेट करना या साइकिल चलाने का शौक नहीं हैl रिमोट से चलने वाली ट्रेन, वीडियो गेम, जहाज, मशीन गन रिवाल्वर हिंसात्मक वीडियो गेम्स और टीवी पर आने वाले हॉरर धारावाहिकों से प्रेम हैl मतलब जो चीजें स्वस्थ बाल मनो मस्तिष्क के लिए कहीं से उपयुक्त नहीं हैl वही चीजों से उन्हें प्रेम हैl
यह बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में नशा हटाओ बचपन बचाओ कोरोना मिटाओ अभियान के तहत विश्व बाल दिवस के परिप्रेक्ष्य में दनादन शिव मंदिर में आयोजित वर्चुअल संगोष्ठी शीर्षक नौनिहालों के हिंसक तेवर जिम्मेदार कौन? पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख योग गुरु ज्योति बाबा ने कहीl बाबा ने आगे कहा कि बच्चों द्वारा की गई हिंसक वारदातों का आकलन करने पर यह तथ्य उभरकर सामने आता है कि इस मानसिकता के लिए पूरी व्यवस्था परिवार और मीडिया सभी बराबर के जिम्मेदार हैं किसी एक को दोषी नहीं माना जा सकता है एक तरफ महत्वाकांक्षी माता-पिता की ऊंची ऊंची उम्मीदें, सहपाठियों का दबाव, माता-पिता के बीच तलाक या नशाखोरी, एकल परिवार से उपजा अकेलापन, माता पिता का बच्चों के प्रति ध्यान न देना, नौकर आया या क्रश में पलता अकेला बच्चा, घर या बाहर खेलने की जगह का अभाव भावनाओं की अभिव्यक्ति का साधन ना होना नौकर द्वारा बुरी आदत का शिकार होना ऐसे अनेक कारण हैं जो बाल सुलभ मन को आक्रामकता की गर्त में ढकेल देते हैंl
ज्योति बाबा ने आगे कहा कि बाल मन कोरे कागज के समान है ब्रिटेन के व्यवहार मनोवैज्ञानिक जेबी वाटसन कहते हैं आप मुझे एक बच्चा दीजिए मैं उसे एक चोर,वकील या डॉक्टर जो चाहे बना सकता हूं इस आधार पर संपूर्ण समाज अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता है सभी अपनी जिम्मेदारियों को समझ कर काम करते हैं तो भारत के बचपन को नशा,प्रदूषण व कुपोषण के रोग से बचा सकते हैं l वर्चुअल संगोष्ठी का संचालन राकेश चौरसिया और धन्यवाद संजीव गुरु ने दिया l प्रमुख विचारक आलोक मेहरोत्रा, अजय शर्मा एडवोकेट, सुभाष त्रिपाठी एडवोकेट, सुरेश गुप्त राजहंस, स्वामी गीता मंजू चौरसिया, संध्या इत्यादि थी l
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