सरकार जायज आवाज को भी दबाने का प्रयास कर रही -शशि कुमार मिश्र
सरकार कर्मचारी, शिक्षक, पेंशनर, दैनिक, संविदा कर्मियों के हितों के विपरीत
प्रितपाल सिंह
लखनऊ। प्रदेश के लाखों कर्मचारियों, शिक्षक, पेंशनर्स, दैनिक, संविदा कर्मचारी संगठनों के महासंघ व कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश ने राज्य सरकार द्वारा आज अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (ESMA) लगाये जाने के आदेश पर कड़ा एतराज जताया है जिसके द्वारा राज्य सेवाओं मे हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया गया है।
प्रदेश का उ.प्र. स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ का कर्मचारी एवं उसके सभी घटक संगठनों तथा संयुक्त मोर्चा से जुड़े दर्जनों महासंघों/संघों के शीर्ष पदाधिकारियों ने कहा कि एक ओर तो सरकार कर्मचारी, शिक्षक, पेंशनर, दैनिक, संविदा कर्मियों के हितों के विपरीत निरंतर फैसले करते हुये मार कर रही है दूसरी ओर रोने भी नहीं देना चाहती।
जायज आवाज को भी दबाने का प्रयास कर रही है। भय दिखाकर चाहती है कि उसके अप्रिय निर्णयों पर भी कोई सवाल न उठाये परन्तु जिनके हित प्रभावित हो रहे हैं वह चुप कैसे बैठ सकते हैं। राज्य कर्मचारी, शिक्षक, स्थानीय निकाय, सार्वजनिक निगम आदि प्रतिनिधियों ने कहा कि दिनों दिन बेतहाशा बढ़ती महगाई मे निम्न एवं मध्यम आय वर्ग कर्मचारी शिक्षक परेशान हैं। गुजर बशर मुश्किल है। ऊपर से महगाई भत्ता/महगाई राहत पर जनवरी 2020 से जून 2020 तक रोक लगाकर एरियर जब्त कर लिया गया है। तमाम भत्ते समाप्त कर दिये गये है।
सामूहिक रुप से अपनी आवाज के अलावा कोई विकल्प नहीं -शशि कुमार मिश्र
कोरोना काल मे विभिन्न विभागों के सरकारी कर्मी शिक्षक, निकाय, स्वास्थ्य सेवाओं के ही अपनी व परिवार की परवाह किये बगैर निरंतर फ्रंट लाइन पर कोरोना वारियर्स के रूप मे लगे हुये है,उन्हें भी वेतन भत्तों की कटौती से नहीं बख्शा गया। इस आपदा काल मे कार्पोरेट घराने/निजी पूजीपति वर्ग व उनका अमला कहीं दिखाई नहीं दिये जिन्हें संस्थानों को बेचने का उपक्रम किया जा रहा है।
विभिन्न विभागों मे लाखों रिक्त पदों पर नियमित नियुक्तियां नहीं होने से कार्यरत कर्मी काम के अतिरिक्त बोझ का सामना कर रहे हैं वहीं इनके घरों मे भी बेरोजगार युवा बैठे हैं। सरकारी संस्थानों, सार्वजनिक उपक्रमों का अंधाधुंध निजीकरण किया जा रहा है जिससे इनमें कार्यरत कर्मियों की सेवा पर भी संकट है। ऐसी स्थितियों मे वर्किंग क्लास संगठनों के पास सामूहिक रुप से अपनी आवाज उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
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