निगमों के कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण शीघृ -मुख्य सचिव
शशि कुमार मिश्रा महासचिव कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा उ.प्र. का सराहनीय प्रयास
मनोज मौर्य
लखनऊ। मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी ने कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों एवं विभागीय अधिकारियों के साथ लोकभवन कार्यालय पर सार्थक बैठक हुई। जिसमे प्रमुख मोर्चा द्वारा प्रस्तुत नर्सेज, फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन, ऑप्टोमेट्रिस्ट, लेखाकारों की वेतन विसंगतियों पर जल्द से जल्द दिसंबर के अंत तक निर्णय करने का निर्देश। सिंचाई विभाग के नलकूप चालक, ट्यूबवेल टेक्नीशियन सभी नियमावलियों का प्रख्यापन एक माह में। स्थानीय निकायों की लम्बित मांगो पर 10 रोज के अन्दर प्रमुख सचिव, नगर विकास बैठक करें तथा स्थानीय निकाय, राजकीय निगमों के कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों, पुनर्गठन एवं विनियमितीकरण पर मुख्य सचिव अलग से बैठक करके सार्थक निर्णय करेंगे। निष्क्रिय निगमों को बंद करके उनके कर्मचारियों को समायोजित करने की कार्यवाही चल रही है।
सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों को नियम को शिथिल करते हुए नियमित किया जाएगा। विकास प्राधिकरण कर्मचारियों को 10 वर्ष की सेवा पर भी सेवानिवृत्ति का लाभ जल्द मिलेगा। कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वी पी मिश्र एवं महामंत्री शशि कुमार मिश्रा ने बताया कि मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी के आमंत्रण पर बैठक चली।
बैठक में मोर्चा के अध्यक्ष, महामंत्री के अलावा सर्व सुरेश कुमार रावत अध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, घनश्याम यादव महामंत्री राजकीय निगम कर्मचारी महासंघ एवं गिरीश कुमार मिश्रा महामंत्री रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद तथा विभागों की ओर से अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंघल, अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षक आराधना शुक्ला एवं कार्मिक, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, उच्च शिक्षा, परिवहन, सार्वजनिक उद्यम, नगर विकास, आवास एवं वित्त विभाग के सचिव व विशेष सचिव उपस्थित थे।
श्री मिश्रा द्वारा प्रस्तुत मांग पर जिन पर पूर्व में कई बैठकें हो चुकी थी। उन पर तत्काल सार्थक निर्णय क्रियान्वयन करने की मांग थी। स्वास्थ्य विभाग के नर्सेज का पदनाम परिवर्तन फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, ऑप्टोमेट्रिस्ट एवं वित्त विभाग के लेखा एवं लेख परीक्षक जैसे अति महत्वपूर्ण संवर्गों के वेतन विसंगतियों को तत्काल दूर किया जाए।
स्थानीय निकायों राजकीय निगमों को सातवें वेतन आयोग का लाभ देने, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के साथ हुए समझौतों को लागू करने तथा सहायता प्राप्त विद्यालयों के तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण करने, विकास प्राधिकरण कर्मचारियों की 10 वर्ष की सेवा पर सेवानिवृत्त लाभ देने, आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों के लिए नियमावली बनाने तथा समाप्त किए गए भत्तों को बहाल करने पर एक माह में निर्णय करने का कई बार निर्णय लिया गया था।
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव स्तर के फैसले को लागू न करने से शासन की छवि खराब होती है। मुख्य सचिव ने एक एक मांगों पर स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग के नर्सेज, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, ऑप्टोमेट्रिस्ट, लेखा एवं लेखा परीक्षकों के वेतनमान को उच्चीकृत करने की आवश्यकता है, क्योंकि कोविड-19 बीमारी में इन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना सेवाएं दी है। जिसे भुलाया नहीं जा सकता है। उनकी वेतन संबंधी विसंगति को जल्द से जल्द दिसंबर के अंत तक निर्णय किया जाए। वित्त विभाग को निर्देश दिए कि वे इस बिंदु पर अलग से उनसे बात करे।
स्थानीय निकायों, राजकीय निगमों के सातवें वेतन आयोग का पूरा लाभ देने पुनर्गठन एवं विनियमितीकरण करने पर वे अलग से बैठक करके सार्थक निर्णय करेंगे साथ ही प्रमुख सचिव नगर विकास को निर्देशित किया कि स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों के साथ 10 दिन के अंदर वार्ता कर समस्याओं का निस्तारण करे व उनके उसके सम्बन्ध में अवगत कराएं। सहायता प्राप्त विद्यालयों के तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण की कार्यवाही चल रही है। नियमों में संशोधन किया जा रहा है। आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों की नियमावली बनाने की कार्यवाही प्रगति पर है। भत्तों को समाप्त किए जाने के संबंध में वे मुख्यमंत्री से बात करेंगे।
मुख्य सचिव ने मोर्चा के पदाधिकारियों से कहा कि सरकार के विकास कार्यों में पूरा सहयोग करें। शासन एवं कर्मचारियों के बीच आपसी तालमेल से प्रदेश का तेजी से विकास हो रहा है कोविड-19 जैसी महामारी पर नियंत्रण करने में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के नर्सेज एवं पैरामेडिकल, तकनीकी एवं वार्ड बॉय, सफाई कर्मचारियों के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि दिसंबर में दोबारा बैठक करके मांगों की समीक्षा करेंगे।
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