महाल मंझरियां में सोलर पावर प्लांट को लेकर सियासी ड्रामा शुरू....
नागेन्द्र कुशवाहा
लार,देवरिया | महाल मंझरिया में बरसों से लंबित सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए सरकार के तरफ से हरी झंडी जैसे ही मिली तो इस क्षेत्र के लोगों के लिए खुशी का ठिकाना नहीं रहा और होता भी क्यों नहीं, इस उपेक्षित और मुश्किल से एक फसलीय जमीन पर 1200 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट जो लगने वाला था लेकिन कुछ लोग अपने राजनीतिक और सियासी उल्लू को सीधा करने के लिए एक विशेष वर्ग और गांव के कुछ किसानों को लेकर विरोध करना शुरू कर दिए जबकि इसी गावं में बहुत बड़ी संख्या में अन्य वर्गों एवं समुदाय के लोगों का इससे कोई मतलब नहीं है बल्कि वे लोग खुश हैं
क्योंकि इस प्लांट के लगने से उनके इस अनुपजाऊं और बरसों से बेकार पड़ी जमीन का सरकार द्वारा उचित मूल्य मिलता जिसके पैसे से ये लोग अपने बच्चों का शादी-ब्याह,पढ़ाई लिखाई,मकान निर्माण एवं व्यवसाय इत्यादि करते।इस जमीन के विरोध का हम दूसरा मायने इस प्रकार भी समझ सकते है कि इस क्षेत्र की जमीनों पर कुछ विशेष लोगों का अवैध कब्जा है जिसके कारण ये लोग इस जमीन पर इस महान कार्य को मूर्त रूप नहीं देना चाहते है और हो भी क्यों नहीं महज 10 फिसदी लोगों ने 90 फिसदी लोगों के इन जमीनों पर कब्जा कर खेती और पशुपालन करते है।कब्जा का मुख्य कारण इस जमीन पर खेती करने के लिए विषम परिस्थितियों के कारण वास्तविक मालिक या तो नदी पार करके बार बार जा नहीं सकते या अपनी व्यक्तिगत और असुरक्षात्मक कारणों से जाना नहीं चाहते है।ये सब लोग यहीं चाहते है कि सरकार इस जमीन को अधिग्रहण कर उचित मूल्य दें और ऐसा होता भी लेकिन कुछ चंद लोगों के वजह से यह कार्य खटाई में पड़ती नजर आ रही है।चुरियां के कुछ लोगों के अलावा चुरियां, नदौली,खेमादेई,कौसड़,महाल मंझरिया,आदर्श नगर और पिंडी के लगभग सभी किसान और जमीनों के मालिक यहीं चाहते है कि इस पाँच हजार एकड़ की एक फसली/अनुपयोगी जमीन पर सोलर पावर प्लांट लगे और उनको उनकी जमीन का उचित मूल्य मिलें।शासन-प्रशासन को एक पुनः सर्वे कराकर अन्य गांव के किसानों से बातचित करके इस महान कार्य को अमलीजामा पहनाया जाय जिससे इस क्षेत्र का व्यापक विकास हो और रोजगार के नये अवसर उभर कर सामने आए।
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