कोई आने को है...

सुरेंद्र सैनी 


है इंतज़ार कोई आने को है


मैं बेक़रार कोई आने को है


ख़ुश हूँ, चहकता फिर रहा


ये गुलज़ार कोई आने को है


राहों पे नज़रें टिका रखी है


होके सवार कोई आने को है


तारों में गुफ़्तगू होने लगी है


चाँद के पार कोई आने को है


नहीं जोर चलता दिल पे कोई


चढ़ा ख़ुमार कोई आने को है


हर दिन कोई बीज नया पनपे


नहीं बेज़ार कोई आने को है


चाह दिल में दफ़न है"उड़ता"


यही है प्यार कोई आने को है


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