कालाजार और फाइलेरिया का सफाया जरुरी:-सीएमओ
वशिष्ठ मौर्य
देवरिया। राघव नगर स्थित एक कांफ्रेंस हाल में सीएमओ डॉ. आलोक पांडेय की अध्यक्षता में वेक्टर बार्न बीमारियों से संबंधित संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सीएचसी और पीएचसी से आये स्वास्थ्य कर्मियों को कालाजार व फाइलेरिया रोग के लक्षणों और बचाव के बारे में जानकारी दी गई।
इस दौरान सीएमओ डॉ. पांडेय ने कहा कि कालाजार व फाइलेरिया का सफाया बहुत ही जरुरी है। इसके लिए सभी को जागरूक होना होगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग का यह फर्ज है कि नागरिक इससे मुक्ति दिलाने में सहयोग करें। पाथ संस्था के स्टेट प्रोग्राम कोआर्डिनेटर कालाजार व मास्टर ट्रेनर डॉ. ज्ञान प्रकाश ने कहा कि कालाजार रोग बालू मक्खी के काटने से होता है।
बालू मक्खी को जड़ से समाप्त करने के लिए दवा का छिड़काव जरुरी है। बालू मक्खी से बचाव के लिए घर में छिड़काव करवाना चाहिए, जिससे मक्खियां मर जाएं। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। इसमें रोगी को उपचार के साथ साथ उन्हें पैसा भी दिया जाता है।
इलाज और दवाई नि:शुल्क होती है इसके अतिरिक्त उनके खाते में राशि भेज दी जाती है। स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर फाइलेरिया डॉ. शोएब ने कहा फाइलेरिया को हाथी पांव रोग भी कहा जाता है। ये रोग क्यूलेक्स मच्छर काटने की वजह से होता है। इस मच्छर के काटने से पुवेरिया नाम के परजीवी शरीर में जाने से ये रोग होता है। वयस्क मच्छर छोटे-छोटे लार्वा को जन्म देता है, जिन्हें माइक्रो फाइलेरिया कहा जाता है। ये मनुष्य के रक्त में रात के समय एक्टिव होता है। इससे बचाव के लिए रात को सोते वक्त मच्छरदानी प्रयोग करें, पूरी बाजू के कपड़े पहने, आसपास गंदगी या कूड़ा जमा न होने दें, नालियों में पानी रुकने न दें, दवा खाली पेट नहीं लेनी चाहिए।
इस असर पर एसीएमओ वेक्टर बार्न डॉ. डीबी शाही, एसीएमओ डॉ. बीपी सिंह, डीटीओ कालाजार डॉ पंकज कुमार,डीएमओ डॉ एसपी तिवारी, सहायक मलेरिया अधिकारी सुधाकर मणि, सीपी मिश्रा, डॉ मनीष सिंह, डॉ एनपी सिंह, डॉ एसके सिंह, डॉ सत्येंद्र राव सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।
जिले में हैं कालाजार के 19 और फाइलेरिया के 81 मरीज एसीएमओ वेक्टर बार्न डॉ. डीवी शाही ने बताया कि 1 जनवरी से अब तक कालाजार के 19 और फाइलेरिया के 81 मरीज पाए गए है जिनका इलाज कराया जा रहा है। इनमे कुछ इलाज के बाद स्वस्थ हो चुके हैं।
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