डाॅ लालती देवी को मिला श्रीमती दौलत देवी सशक्त महिला 2020 सम्मान۔۔۔

सुजाता मौर्या 


प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक जर्नलिस्ट्स भी हुए सम्मानित


लखनऊ | अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल डॉ माता प्रसाद मित्र की अध्यक्षता में हास्य एवं व्यंग्य कवि पण्डित बेअदब लखनवी की पूज्य दादी माँ स्व. श्रीमती दौलत देवी की 15वीं पुण्य तिथि के पावन अवसर पर श्रीमती दौलत देवी स्मृति संस्थान एवं मार्तण्ड साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय केन्द्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, कुर्सी रोड, लखनऊ सभागार में आयोजित 6वें सशक्त महिला सम्मान समारोह 2020 एवं पत्रकार सम्मान समारोह व काव्य गोष्ठी में उत्तर प्रदेश दलित साहित्य अकादमी की अध्यक्षा डाॅ लालती को वर्ष 2020 के श्रीमती दौलत देवी सशक्त महिला सम्मान से सम्मानित किया गया


इसी क्रम में विभिन्न समाचार पत्रों के सम्पादकों व लगभग 25 पत्रकारों सहित काव्य गोष्ठी में प्रतिभाग करने वाले साहित्यकारों को अंग वस्त्र एवं सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया । पण्डित बेअदब लखनवी , सुरेश राजवंशी व सरस्वति प्रसाद रावत के संयोजन में आयोजित समारोह के द्वितीय चरण में काव्य गोष्ठी का आरम्भ कवि प्रेम शंकर शास्त्री की वाणी वन्दना एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ । केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के उप - निदेशक डाॅ मकबूल अहमद खान समारोह के मुख्य अतिथि, वर्ष 2018 के श्रीमती दौलत देवी सशक्त महिला सम्मान से सम्मानित कवयित्री श्रीमती कामिनी श्रीवास्तव विशिष्ट अतिथि व अनागत कविता आन्दोलन के प्रणेता डाॅ अजय प्रसून अति विशिष्ट अतिथि रहे


पण्डित बेअदब लखनवी ने अपनी दादी माँ को याद करते हुए पढ़ा - दादी माँ तुम कहाँ गई, तुम बिन अब कुछ रहा नहीं । सुकवि सुरेश राजवंशी ने - दादी सम देवी नहीं, जिसकी बेल महान, दादा तपसी जानिए, साधक सिद्ध सुजान पढ़ा । तो पण्डित विजय लक्ष्मी मिश्रा ने - चलो तुम्हें हम ले चलते हैं बचपन वाले गांव में पढकर उपस्थित जनमानस को बचपन की यादों में ले गई । डाॅ मेहदी हसन ने - जबसे दिल में वो मेहमां हुए खुद से हम बेखबर हो गए । कवि प्रेम शंकर शास्त्री 'बेताब' ने - कोई अपना समझता है कोई सपना समझता है पढ़ा सरस्वती प्रसाद रावत ने पुष्प कोई नहीं पास मेरे यहाँ, शब्द की पंखुडी अर्पित करूँ । भोजपुरी कवि अधीर पिण्डवी ने घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान कीजिये, इनके गुणों का आप कुछ पहचान कीजिये । मेहनत से इनकी आपकी संवरी है जिन्दगी, हरगिज़ न किसी बात पर अपमान कीजिये । कवि मनमोहन बाराकोटी ने ज्ञान की गंगा बहे, तो वह कभी घटती नहीं, अज्ञानता की धुंध है बिन ज्ञान के छंटती नहीं पढ कर वाहवाही लूटी । डाॅ अजय प्रसून ने थिरके आंगन मोर हमारे घर आओ, देखूँ पथ की ओर हमारे घर आओ । इनके अतिरिक्त सीतापुर से आए गोदी लाल गांधी, आकांक्षा सिंह ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को झुमाया । कार्यक्रम के अन्त में संस्थापक अध्यक्ष पण्डित बेअदब लखनवी के ने समापन की घोषणा की ।


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