चीचड़, लीचड़,जोंक का कीचड़ हो गया चुनाव


मंजुल भारद्वाज


विचार मानवीय मूल्यों को


ऊँचा उठाता है


आसमान सा मुक्त करता है


दुनिया को


विकार प्रलयकारी होता है


दुनिया को रसातल में कैद कर


मानवता का गला घोंट


तिल तिल मारता है


विचार है लोकतंत्र है


विकार भीड़तंत्र


बीच में चुनाव


भीड़ चुनाव जीताती है


पर वर्तमान प्रधानमन्त्री


हर चुनाव में रसातल की


हद बढ़ा देते हैं


लोकतंत्र


सामाजिक सौहार्द


विविधता


न्याय


विवेक


इंसानियत का लहू पीने वाले


चीचड़,लीचड़,जोंक की


विकास के कीचड़ में


पौ बारह हो जाती है


प्रधानसेवक


चुनावी जीत के लिए


गिरने की हद


......


समाप्त कर देते हैं !


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