पोषक आहार करेगा कोरोना पर वार....
वशिष्ठ मौर्य
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खानपान का रखना होगा विशेष ध्यान
नाश्ता ही नहीं दोपहर व रात का खाना भी समय से खाएं
देवरिया । कोरोना वायरस यानि कोविड-19 का सामना करने के लिए इस समय रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है । यह तभी बनी रह सकती है जब हम अपने खानपान जैसे नाश्ता, लंच और डिनर में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जो पोषण से भरपूर हों। पोषण पुनर्वास केंद्र की डायटीशियन (आहार परामर्श दाता) अनामिका मिश्रा का कहना है कि अपनी डाइट में विटामिन ए एवं विटामिन सी युक्त संतरा, आंवला, नींबू, अन्नानास, बेल और पपीता लें ।
दही, अदरक, हल्दी, लहसुन, हरी पत्ते वाली सब्जियां, दालें, ओट्स, अलसी, फलियाँ भोजन में शामिल करें। चिकन सूप इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम है। जिंक का भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बड़ी भूमिका है। जिंक का सबसे बड़ा स्त्रोत सीफूड है, लेकिन ड्राई फ्रूट्स में भी जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन डी धूप से और दूध, दही, अंडा, दलिया, मशरूम एवं मछली से मिल सकता है। डायटीशियन अनामिका मिश्रा का कहना है कि दाल, चावल, रोटी, सब्जी, सलाद, दही संतुलित आहार का सबसे अच्छा नमूना है । इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स और मिनरल्स मिलते हैं । अधिक तेल-मसालों के सेवन से बचें । प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से जितना हो सके, बचना चाहिए। ऐसी चीजें जिनमें प्रिजरवेटिव्स मिले हों, उनसे भी बचना चाहिए। अच्छी तरह पका हुआ भोजन ही लें। हाइजिन पर दें ध्यान – सीएमओ डॉ. आलोक पांडेय का कहना है कि खाने की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। फल और सब्ज़ियों को अच्छी तरह धोकर ही उपयोग में लाएं और खाना हाथ धोकर ही बनायें व खायें। गर्भावस्था में सफाई से बना हुआ ताजा खाना ही खाएं। फलों व सब्जियों को इस्तेमाल करने से पहले अच्छे से धो लें। गुनगुने पानी का सेवन करें। गर्भवती को प्रतिदिन 20-25 मिनट योग या साधारण इनडोर स्ट्रेचिंग व्यायाम या सरल योग व्यायाम करना चाहिए। कैफिन, अल्कोहल, तम्बाकू और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। बच्चों का रखें विशेष ख्याल बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आरके श्रीवास्तव का कहना है- दो साल से छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है, ऐसे बच्चों के लिए माँ का दूध अमृत समान होता है जो यह क्षमता बढ़ाता है और बीमारियों से बचाता है। छह माह तक के बच्चों को सिर्फ माँ का दूध और छह माह से दो साल तक के बच्चों को माँ के दूध के साथ पूरक आहार दें।
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