निर्भीक लेख लिखने के कारण पांच बार गणेश शंकर विद्यार्थी जेल की यातना सहे
कांग्रेसियों ने मनाई अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हमीद खां की जयंती
संजय मौर्य
कानपुर। महानगर कांग्रेस कमेटी द्वारा अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थीके 130 वीं एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हमीद खां की 120 वीं जयन्ती के पावन अवसर पर कांग्रेस मुख्यालय तिलक हाल मे दोनो ही महापुरुषो के तैलचित्रो पर माल्यार्पण के पश्चात आयोजित परिचर्चा के जिसमे महानगर कांग्रेस अध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री ने गणेश शंकर विद्यार्थी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महानायक, देश भक्त, कर्मयोगी एवं साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रणेता थे।
फतेहपुर के एक साधारण परिवार मे जन्मे गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपने कठिन तपस्वी जीवन की त्रासदी के साथ न केवल अध्यापन करके तत्कालीन निरंकुश अंग्रेजी हुकूमत से त्रस्त होकर स्वस्थ पत्रकारिता के विद्वान पं0 सुन्दर लाल व महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसे कर्मनिष्ठ विद्वानो के सानिध्य मे कर्मयोगी, सरस्वती, अभ्युदय आदि पत्रिकाओ से जुडकर सन् 1913 मे साप्ताहित प्रताप नामक समाचार पत्र का प्रकाशन कर अपने लेखो के कारण देश व प्रदेश की पत्रकारिता जगत मे उत्कृष्टता की ओर ही नही बढे बल्कि प्रताप का दैनिक प्रकाशन और उसमे निर्भीक लेख लिखने के कारण पांच बार जेल यातना सहे।
लोकमान्य तिलक और महात्मा गांधी के सम्पर्क मे आकर देश के स्वतंत्रता आन्दोलन मे सिरमौर रुप मे भी विख्यात होकर क्रान्तिकारी बिपिन चन्द्र पाल, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल व भगवती चरण वर्मासहित दर्जनो क्रान्तिकारियो के प्रेरणाश्रोत बनकर सम्पूर्ण देश के सम्माननीय व्यक्तित्व बन गये।
श्री अग्निहोत्री ने कानपुर देहात के डेरापुर के एक छोटे गांव मे पैदा हुए स्व0 हमीद खां को कानपुर का गांधी सम्बोधित करते हुए कहा कि अपनी अल्पायु मे ही पढाई छोडकर भारतीय स्वतंत्रता आंन्दोलन मे कूदकर गांधीवादी सिद्धान्तो को अंगीकार करके सन् 1920 से 1942 तक 13 बार जेल यातनाए सहने वाले हमीद खां को भी श्रद्धानवत् करते हुए यह भी कहा कि देश को आजादी मिलने के बाद 2 बार विधायक रहने पर भी अपने गांधीवादी परिवेश को कट्टरता एवं अनुशासन से पालन करके आभावग्रस्त जीवनयापन के लिए स्व0 हमीद खां को भुलाया नही जा सकता।
इस कार्यक्रम का संयोजन सुबोध बाजपेई व सभा संचालन मनु पाण्डे ने किया। पुष्पांजलि परिचर्चा मे शंकर दत्त मिश्र, अब्दुल मन्नान, निजामुद्दीन खां, राजेश द्विवेदी, इकबाल अहमद, रवीन्द्र शुक्ला मुन्ना, विमल तिवारी, चन्द्रमणि मिश्र, डा0 आलम, राजू कश्यप, अफलाक अहमद, जफर शाकिर ‘मुन्ना‘, बृजभान राय व प्रतीक मिश्रा आदि ने भी तत्सम्बन्धी विचार प्रकट करते हुए स्व0 गणेश शंकर विद्यार्थी व हमीद खां को अपने श्रद्धासुमन समर्पित किए।
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