नेता जीत के निशान के दो कदम पीछे.

डॉ. बीना सिंह


छत्तीसगढ़


नेता दिव्यांग बच्चों की एक स्कूल में वार्षिक खेल की प्रतियोगिता हो रही थी कक्षा 5 से कक्षा 7 तक के बच्चों की प्रतियोगिता थी सारे बच्चे प्रस्तावित तिथि के अनुसार स्कूल के मैदान में इकट्ठा हो गए दौड़ की प्रतियोगिता की घोषणा की गई 15 बच्चे कतार में खड़े हो गए जैसे सीटी बजा सारे बच्चे दौड़ना प्रारंभ कर दिए कोई आगे कोई पीछे तो कोई बीच में अपनी अपनी रफ्तार से दौड़ रहे थे जीत के निशान के दो कदम पीछे महेश था इसके पीछे सौरभ और उसके पीछे कमलेश उम्मीद की जा रही थी प्रथम विजेता महेश द्वितीय विजेता सौरव और तृतीय विजेता कमलेश बनेगा किंतु जैसे ही महेश एक कदम और आगे बढ़ा पीछे सौरभ जमीन पर गिर पड़ा महेश ने अपनी जीत की परवाह न करते हुए पीछे पलट कर देखा और सौरभ को उठाने का प्रयास करने लगा तब तक कमलेश भी पहुंच चुका था और पीछे के सारे बच्चे एक-एक करके पहुंच चुके सभी ने सौरव को उठाया उसके शरीर से धूल मिट्टी साफ किए महेश अपने हाथ फैला कर सारे बच्चों को इशारा किया कि सभी एक दूसरे के हाथ थाम ले और एक साथ जीत की सीमा रेखा को पार करें और सभी ने ऐसा ही किया वहां उपस्थित दर्शकों की आंखों में आंसू आ गए स्पॉन्सर को सभी बच्चों को विजेता घोषित करना पड़ा सभी के मुख से यही बात निकल पड़ा कि नेता हो तो ऐसा जिसमें अपने स्वार्थ अपनी जीत के अलावा सभी को साथ लेकर नेतृत्व करने की ह्रदय हो क्षमता हो !


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