महात्मा गांधी से प्रेरित थे शास्त्री

पर्यावरण को नुकसान पहुंचा कर विकास की ओर बढ़ना घातक


आर एस प्रसाद


देवरिया। 2 महापुरुषों की एक साथ जयंती मनाना बहुत ही सौभाग्य की बात। भारतीय आंदोलन के प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 एवं निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ था। उनकी अवधारणा कि नींव संपूर्ण अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित थी। 2 अक्टूबर को इनका जन्म भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस महामानव की पांच बातें हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।


1-खुद पर भरोसा रखें।


2-बाधाओं से हार नहीं माने


3-क्षमा करना सीखें


4-गलतियों से सबक लें और


5-चरित्र की मजबूती


गांधीजी विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के पक्षधर नहीं थे। छात्रों और विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकार एवं जन समस्याओं में शामिल होने के लिए प्रेरित करते थे। जन समूह की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें प्रेरित करना और शामिल कराना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल था और उनका उद्देश्य था। सन 1918 में स्पेनिश फ्लू के चलते अपनी बहू व नाती खो बैठे, पेट का इंफेक्शन होने की वजह से इनके भी बचने की उम्मीद कम हो गई थी, लेकिन बाद में स्वास्थ्य हो गए।


पर्यावरण सुरक्षा को लेकर गांधी जी बहुत ही गंभीर थे, उनका मानना था कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचा कर विकास की ओर बढ़ना एक दिन घातक सिद्ध होगा। जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने चेताया था कि"ऐसा समय आएगा जब अपनी जरूरतों को कई गुना बढ़ाने की अंधी दौड़ में लोग अपने किए को देखेंगे और कहेंगे, यह हमने क्या किया? "यदि हम परिवर्तन संबंधी वर्तमान वाद विवाद को देखे तो जिस व्यग्रता से पश्चिमी देश उभरते हुए देशों को अपना कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए अरबों डालर खर्च किए जा रहे हैं



आज गांधी जी की भविष्यवाणी सच साबित होती दिख रही है। साथ ही साथ 2 अक्टूबर का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है कि आज ही के दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई जाती है। ऐसे प्रधानमंत्री जिनका कार्य अनोखा एवं अद्वितीय रहा।शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर उन्नीस सौ चार और निधन 11 जनवरी 1966 को हुआ था।सार्वजनिक जीवन में सादगी और ईमानदारी की मिसाल शास्त्री जी जिनके कार्यकाल में भारतीय फौज ने पाकिस्तान को जंग में करारा जवाब दिया था।


लाहौर तक अपना झंडा लहराया था। इसके साथ साथ में एक न एक दिन इंसान भी थे। बाद में जीती हुई सारी जमीन पाकिस्तान को वापस कर दिए थे। इन्होंने ही जय जवान जय किसान का नारा दिया था। देश में भीषण अकाल के समय उनके कहने पर लोगों ने 1 दिन का उपवास रखना शुरू किया।


सार्वजनिक जीवन में उनके जैसे इमानदारी बहुत कम देखने को मिलती है। उन्होंने रेल मंत्री के कार्यकाल में रेल दुर्घटना होने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। आधुनिक भारत के इतिहास में उनका जीवन सादगी और ईमानदारी का मिसाल रहा है। जब वे देश के प्रधानमंत्री बने उस समय उनके पास ना अपना घर था ना अपनी कोई कार थी, बच्चों के कहने पर लोन ले करके उन्होंने एक कार खरीदी थी। बेहद कम उम्र में ही गांधी जी से प्रेरित होकर असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए थे। देश आजाद होने पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में कई विभागों में कार्य किया, जैसे रेल मंत्री,वाणिज्य एवं उद्योग, मंत्री गृह मंत्री समेत कई पद संभाले और 11 जनवरी को ताशकंद में अंतिम सांस ली थी।


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