चिन्हित की गईं हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली महिलाएं....

वशिष्ट मौर्य 


अधिकांश महिलाओं में मिली खून या हीमोग्लोबिन की कमी -


आयरन की टैबलेट और गुड़, चना, चुकंदर का सेवन करने की मिली सलाह


देवरिया। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत शुक्रवार को जिला महिला चिकित्सालय सहित जनपद के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की जांच की गई। मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिये हर माह की नौ तारीख को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती की जांच की जाती है।


इसके तहत गर्भवती की प्रसव पूर्व जांच, हाई रिस्क प्रेगनेंसी की पहचान, पोषण, परिवार नियोजन तथा प्रसव स्थान के चयन हेतु काउंसलिंग की गयी । इसके साथ ही कोविड-19 से बचाव के लिये जारी किये गये प्रोटोकॉल का भी पालन किया गया। जिला महिला अस्पताल में गर्भवतियों की जांच कर रहीं डॉ आँचल ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत 150 से अधिक गर्भवती की जांच की गई। शिविर में हाई रिस्क वाली गर्भवती को चिन्हित किया गया। जाँच में अधिकांश महिलाओं में खून या हीमोग्लोबिन की कमी पाई गई। इसमें गरीब और माध्यम वर्ग की महिलाएं शामिल रहीं। उन्होंने बताया की खान-पान में लापरवाही के चलते इस तरह की कमी से बच्चे के साथ ही गर्भवती की भी जान को खतरा रहता है। जिन महिलाओं में खून या हीमोग्लोबिन की कमी होती है उन्हें आयरन फोलिक एसिड की गोली लेने की सलाह दी गई। इसके साथ ही गर्भवती को कोविड-19 से बचाव हेतु जानकारी भी दी गई। गुड़, चना, चुकंदर का सेवन की मिली सलाह शिविर में जाँच करने आई 9 माह की गर्भवती पिंकी देवी ने बताया कि जाँच में हीमोग्लोबिन 7.2 आया है। डाक्टर ने आयरन कि टैबलेट लेने कि सलाह दिया है। साथ ही गुड़, चना, चुकंदर का सेवन करने को कहा है। इन सुविधाओं का मिलता है गर्भवती को लाभ एसीएमओ आरसीएच डॉ. बीपी सिंह ने बताया कि हर माह प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती के लिये जांच शिविर लगाया जाता है। इसमें समस्त गर्भवती की प्रसव पूर्व जांच जैसे हीमोग्लोबिन, शुगर, यूरिन जांच, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, सिफलिस, वजन, ब्लड, प्रेशर, अल्ट्रासाउंड सहित अन्य जांचे की जाती हैं। गर्भ का द्वितीय एवं तृतीय त्रैमास में कम से कम एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा एलोपैथिक चिकित्सक की देख-रेख में निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। टिटनेस का टीका, आयरन व कैल्शियम सहित अन्य आवश्यक दवाएं दी जाती हैं। हाई रिस्क प्रेगनेंसी की पहचान, प्रबंधन एवं सुरक्षित संस्थागत प्रसव हेतु प्रेरित किया जाता है।


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