बेलन से रोज़ करती वो मेरी पिटाई -बेअदब लखनवी 

सरस काव्य गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन समारोह 


खुद को बचाने में ही मेरी उम्र कट गई


मनोज मौर्य 


लखनऊ। मार्तण्ड साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था (भारत) लखनऊ पंजीकृत के तत्वाधान में आयोजित मासिक सरस काव्य गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन सम्पन्न आज मार्तण्ड साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था, भारत, लखनऊ पंजीकृत के तत्वाधान में मासिक सरस काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन आंन लाइन किया गया जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ अवधी साहित्यकारा, लेखिका, कवियत्री आदरणीया संतोष सिंह हंसौर बाराबंकी ने किया। इस कार्यक्रम का संयोजन सुरेश कुमार राजवंशी ने किया। शिवानी त्रिपाठी प्रयागराज की वाणी बन्दना से शुभारंभ हुआ। सन्तोष सिंह हंसौर होतै सुखवा जौ हमरे लिलार बप ई, होतेन हमहूं कुला कै उजियार बप ई।



पं. बेअदब लखनवी खुद को बचाने में ही मेरी उम्र कट गई, बेलन से रोज़ करती वो मेरी पिटाई है। सुरेश कुमार राजवंशी 'मां भारत खतरे में है' उसकी लाज बचालो यारों। लोप रहा है वतन हमारा अपने ही हाथों सभांलो यारों। एस.पी.रावत घृणा दुखो का मूल है, घृणा हृदय का शूल। प्रेम दया के भाव से, घृणा होय निर्मूल सुना कर खूब वाहवाही बटोरी। गोदी लाल गांधी गम था न कोई मुझको, तेरी दोस्ती के पहले। अब गम ही जिंदगी है,तेरी करके याद पहले।


हसन खान नवाजिश का यह भी बहाना हुआ है कि चौखट पे आये जमाना हुआ है। प्रेम शंकर शास्त्री 'बेताब' ने बेटी में सबको दिखे इस समाज के रूप ।माँ, भगिनी, पत्नी सँवर कह देती दो टूक ।सुनाकर खूब तालियां बटोरी। ललतेश कुमार हे, नारी तुमको नमन है, तुम यहाँ पर आयी हो, छोड़कर घरवार अपना सारी खुशियाँ लायी हो। एल.पी.गुर्जर लखनवी-शाम ए ग़म है और ये तरसती तनहाई है,आ भी जा हरज़ाई महकती अमराई है,मौसमे बहार है *गुर्जर*औ कसक दिल में;गुलशन ए गुल खिल के लिया अँगड़ाई है।


राखी सरोज -आवाज नहीं सुनाई देती अब मुझे उन मासूमों की, कीमत ऐसी आज लगीं हैं दर्द और आबरूह की। रामरतन यादव वो बचपन के सुहाने दिन, बहुत ही याद आते हैं। मगन थे अपनी धुन में हम जमाने याद आते हैं|सुनाकर खूब तालियां बटोरी। अरविन्द असर दुश्मन बहुत बुरा था मेरी जान का कोई, मौक़ा ज़रा भी छोड़ा नअपमान का कोई। सुनाई जो खूब सराही गयी। सत्यपाल सिंह सजग माँ के पावन चरणों जैसे, दुनिया में कोई पाँव नहीं। उपकार तेरे लाखों मुझपर तेरे आँचल जैसी छाँव नहीं।सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। सतीश सुमन हे ईश्वर हे मालिक हे दाता।


पीहर से लड़की की डोली, पिय के घर को जब जाती


रश्मि लहर जुड़े दिखे हैं, टूटन रूठा जीवन उलझन है,तल्खी उस की आँखों में,इन आँखों में सावन है।काश बच्चियों की लुटती आबरू को बचा पाता। सुनाया जो खूब सराही गयी। अमर अरमान -जिन्दगी है अजब यारोंं,गज़ब इसकी कहानी है, कभी चाहत का ये दरिया, कभी आँखों का पानी है। आशीष त्रिपाठी 'अशक' इश्क में गुल खिले तो बड़ी बात है, वो बिछड़ कर मिले तो बड़ी बात है। सुना कर मंत्रमुग्ध कर दिया। मृत्युन्जय सिंह चौहान दूरियां नजदीकियां बन गईं अजब इत्तेफाक है, कहे डाली कितनी बातें अनकही अजब इत्तेफाक है। सुना कर खूब वाहवाही बटोरी। गोविंद नारायण मिश्रा पीहर से लड़की की डोली, पिय के घर को जब जाती है।


घर की "सरताज" कहाने को,गोदी में लाल खिलाती है। सविता वर्मा नौ दिन नवरात्रों के माँ सबको दरस दिखाती हैं। सुना कर वाहवाही बटोरी। अंजलि गोयल बिजनौर पापा की बहुत लाडली होती हैं बेटियाँ, मम्मी को बहुत प्यारी लगती हैं। डा0 नरेश सागर ये अठखेलियां फिर से जवान होने दो।दिलों को जमीन आसमान होने दो। मिश्रा ईश्वर भी नारी के संमुख नतमस्तक है। नारी में संपूर्ण संसार समाया है। संजय सागर यादों की दीवाली में क्या फेकूँ क्या पास रखूँ। कोने-कोने यादें तेरीआॅ॑सू की बरसात करूॅ॑। सुना कर मंत्रमुग्ध कर दिया। रेनू वर्मा बड़ा संगीन मसला है हमने तहरीर लिख डाली।


खुद के फैसले पर हमने खुद ही नज़ीर लिख डाली


डा0 ज्योत्सना सिंहरंगीन लिबास में सजा अस्तित्व, सांसो की ठोकर से चलने को मजबूर हो जाए। सुना कर वाहवाही बटोरी। शिवानी त्रिपाठी तुम्हें आँखों के किनारे ही सुखा दियाखारे अश़्कों को होठों में दबा लिया। सुना कर खूब वाहवाही बटोरी। राकेश दुलारा माँ लक्ष्मी का हाथ हो, सरस्वती का साथ हो। अरविन्द रस्तोगी निज हाथों से खिला रही, छोटा-छोटा कौर। माँ के प्यार दुलार का कैसा सुन्दर दौर।


इस कार्यक्रम में उपस्थित कवि सर्व पं. बे अदब लखनवी, कवि एस के राजवंशी, कवि सत्यपाल सिंह "सजग" उत्तराखण्ड, कवयित्री लक्ष्मी बड़शिलिया, बीना उत्तराखण्ड, कवि रामरतन यादव उत्तराखण्ड, कवि राकेश दुलारा कवि अरविंद रस्तोगी, शायर अरविंद असर, एस.पी.रावत, कवयित्री सुनीता यादव, रेनू वर्मा, रश्मि लहर, ज्योत्सना सिंह, सविता वर्मा, अंजलि गोयल, शिवानी त्रिपाठी, आशीष कुमार मिश्रा, गोविंद नारायण मिश्रा, आभा मिश्रा, संतोष सिंह हंसौर, डॉक्टर नरेश सागर, संजय सागर, कवि प्रेम शंकर शास्त्री बेताब सहित लगभग चालिस कवियों ने समसामयिक रचनाओं को सुनाकर श्रोताओं की तालियाँ बटोरी। अन्त में संस्था के अध्यक्ष  सरस्वती प्रसाद रावत ने धन्यवाद ज्ञापित कर समारोह का समापन किया। 


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