शिक्षक-शिक्षा प्रणाली के संदर्भ में चुनौतियां और मार्गों की संभावनाएं......
संजय मौर्य
कानपुर । डा. वीरेन्द्र स्वरूप इंस्टीट्यूट आफ प्रोफेशनल स्टडीज में शिक्षा संकाय (बीएड) द्वारा एक राष्ट्रीय ई-सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020-भारत में शिक्षक शिक्षा प्रणाली के संदर्भ में चुनौतियों और मार्गों की संभावनाएं का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षक-प्रशिक्षक व छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। ई-सम्मेलन का शुभारंभ महाविद्यालय के प्रबंध समिति के सचिव माननीय गौरवेन्द्र स्वरूप की वर्चुअल एव प्राचार्या डा. पूनम मदान वर्चुअल रूप से उपस्थित आमंत्रित अतिथियों के सहयोग से किया गया। इस अवसर पर प्राचार्या डा. पूनम मदान जी ने दीप प्रज्ज्वलन व सरस्वती जी की पूजा अर्चना व माल्यार्पण द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया । इस उद्घाटन सत्र में सचिव गौरवेन्द्र स्वरूप जी प्राचार्या डा. पूनम मदान की-नोट स्पीकर डा. मीरा शंकर, विशिष्ट प्रवक्ता प्रो. कौशल किशोर अतिथि वक्ता डा. सोमू सिंह, अतिथि वक्ता डा. जसपाली चौहान व सुजीत कुंतल जी वर्चुअल रूप से उपस्थित रहे ।ई-सम्मेलन में उपस्थित अतिथियों का सम्मान व परिचय डा. अनीता शर्मा व डा. अंजलि पोरवाल द्वारा किया गया । इस ई-सम्मेलन में सर्वप्रथम डा. मीरा शंकर डायरेक्टर एंड प्रोफेसर (JDBIMS SNDT Women's University Mumbai) ने नई शिक्षा नीति 2020 पर बोलते हुए कहा कि यह शिक्षा नीति प्राचीन शिक्षा प्रणाली से काफी प्रभावित है। हमारे प्राचीन कालीन विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में बहुआयामी अनुशासनों की शिक्षा प्रदान की जाती थी। पांडवों ने अज्ञातवास में जो भूमिका निभाई उनकी शिक्षा भी उनको गुरुकुल मे ही मिली थी। आज के युग के बच्चे यदि इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं तो केवल उन्हीं विषयों पर फोकस करते हैं। नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य यही है कि वैश्विक चुनौतियों के लिए युवाओं को तैयार किया जाए। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा एवं स्थानीय भाषाओं पर विशेष जोर दिया गया है। इसमें शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण है। शिक्षक छात्र की यूनिक क्वालिटी को पहचानें और उन्हें प्रेरित करें। शिक्षक के लिए हर साल 50 घंटे का ट्रेनिंग पीरियड भी होना चाहिए। नई शिक्षा नीति का यदि उचित तरीके से क्रियान्वयन किया जाए तो यह बहुत ही कारगार साबित होगा सुजीत कुंतल जी (नेशनल प्रोसीडेन्ट भारत उत्थान न्यास) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सकारात्मक पक्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 30-40 वर्षों में शिक्षक का स्थान नीचे आया है। यह हम स्वीकार करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में जो समस्याएं हैं, उनमें शोध की अत्यंत आवश्यकता है तथा उन समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना भी अत्यंत आवश्यक है। उन्हेंने कहा कि उत्तर भारत की शिक्षा दक्षिण भारत की शिक्षा से अभी काफी पीछे है। नई शिक्षा नीति में छात्र चर्चा परिचर्रा तथा नवाचार सीखने के लिए विद्यालय आने के लिए उत्सुक रहेगा। ई-सम्मेलन में सभी स्पीकर्स के व्याख्यान के पश्चात प्रश्नोत्तर सत्र चला जिसमें कि ई-सम्मेलन से जुड़े विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षक-प्रशिक्षिकाओं व छात्र छात्राओं की जिज्ञासाएं संबंधित विषय के अतिथि द्वारा शांत की गईं। सम्मेलन की सफलता पर प्रबंध समिति के सचिव माननीय गौरवेन्द्र स्वरूप जी ने वर्चुअल रूप से उपस्थित अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौर में इस तरह के सम्मेलनों का आयोजन होते रहना चाहिए। शिक्षाविदों के विचारों व सुझावों से जहां कई तरह के सकारात्मक पहलू देखने को मिले वहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से संबंधित विभिन्न जिज्ञासाएं भी शांत हुईं। कार्यक्रम की सफलता पर उन्होंने प्राचार्या डा. पूनम मदान सहित समस्त फैकल्टी एवं स्टाफ का उत्साहवर्धन किया। समस्त कार्यक्रम में प्रो. जसनीत कौर का प्रयास विशेष सराहनीय रहा। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान द्वारा किया गया। ई-सम्मेलन में डा. अरुणा बाजपेयी, प्रो. आशा अवस्थी, डा. सीमा मिश्रा, प्रो. पूनम गुप्ता, प्रो. आशीष यादव, प्रो. दीपिका, डा. संदीप त्रिपाठी, प्रो. अनिरुद्ध यादव, प्रो. सरला मध्यान, प्रो. शिप्रा मिश्रा, प्रो. ऊषा मिश्रा, प्रो. जसनीत कौर, प्रो. प्रेरणा अरोड़ा, प्रो. ज्योति सेंगर, कमलेश चन्द्र शर्मा, आदि उपस्थित रहे।
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