सीतामढ़ी: संतानों के दीर्घ, आरोग्य और सुखमय जीवन की आकांक्षाओं का प्रतीक है जिउतिया व्रत...
अंकित पांडे
जिउतिया व्रत में पूजन के बाद व्रती महिलाएं विधिवत सुनती है चील और लोमड़ी की कथा,
सीतामढ़ी महर्षि वाल्मीकि गंगा घाट पर महिलाओं ने जिउतिया का व्रत रखकर संतान की सुख समृद्धि और लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। जिउतिया व्रत अत्यंत ही कठिन होता है। जिसे माताएं पूरी श्रद्धा से व्रत को रखती हैं। कोरोना का कहर भले ही चरम पर हो पर माताओं के अटूट श्रद्धा के आगे कोरोना भी नतमस्तक नजर आया। वही जिउतिया पर्व पर बाजारों में भी काफी चहल-पहल दिखाई दे रही है।
कई महीने बाद बाजारों में फल व मिठाई की सजी दुकानें देखकर हर एक लोगों के चेहरे पर खुशी दिखाई देने लगी है। महिलाएं जिउतिया का व्रत रखकर संतान कि सुख समृद्धि की कामना करती हैं। शास्त्री हनुमान जी का कहना है कि महिलाएं पूजन के लिए जीमूत वाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा को धूप, दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित कर व्रती महिलाएं पूजा करती हैं। इसके साथ ही व्रती महिलाएं मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा बनाती हैं। जिसके साथ माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है। और पूजन समाप्त होने के बाद जिउतिया व्रत की कथा सुनी जाती है। और महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु, आरोग्य होने की कामना करती हैं। वहीं महिलाएं पूरी विधि विधान से निष्ठा पूर्वक कथा सुनकर ब्राह्मण को दान दक्षिणा देती है।उन्हें पुत्र सुख व समृद्धि प्राप्त होती है। वही व्रती महिलाएं सीतामढ़ी महर्षि बाल्मीकि गंगा घाट पर महिलाओं ने गाजे-बाजे के साथ भारी बारिश होने के बावजूद भी महिलाओं ने गंगा घाट पर आकर विधि विधान से पूजन किया। वही मौके पर भीड़ को देखते हुए सीतामढ़ी चौकी इंचार्ज राम आशीष ने पुलिस के साथ घाट पर मौजूद रहे
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