....निशुल्क एंबुलेंस सेवाएं अब केवल पैसा कमाने की मशीन?

एंबुलेंस की कहानी न एसी न तेल न पानी कंपनी का खेल सारा सिस्टम फेल सेवाएं घ्वस्त कंपनी मस्त


संदीप मौर्य 


रायबरेली. स्वास्थ्य विभाग की सरकारी निशुल्क एंबुलेंस सेवाएं बदहाली के दौर से गुजर रही हैं मरीजों के लिए कभी जीवनदायिनी बनी यह सेवाएं अब स्वयं वेंटिलेटर पर हैं अब इन में सड़कों पर फर्राटा भरने की क्षमता खत्म हो गई जीवीके कंपनी की घटिया चाल चरित्र और चिंतन की शिकार बनी यह बात उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय कांग्रेस के सचिव एवं कंपनी श्रमिकों को लेबर ला एडवाइजर डीएस मिश्र ने कही है उन्होंने कहा कि कंपनी खाऊ कमाऊ नीति के चलते एंबुलेंस गाड़िया ही नहीं बर्बाद हो रहे बल्कि कंपनी कर्मचारियों का भी जी भर के शोषण एवं दोहन कर रही कंपनी से पीड़ित कर्मचारियों ने इसकी शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी दर्ज कराई है एंबुलेंस सेवा 102 108 और ए एल एस का हकीकत या हो गई है कि वह खुद वेंटीलेटर पर है गाड़ी की सर्विसिंग हो रही है ना टायर बदले जा रहे हैं ना डीजल मिल रहा है ना गाड़ियां सैनिटाइजर हो रही है काम चलाऊ सिस्टम चालू है. जीवनदायिनी सेवाओं का संचालन सीधे कंपनी के हाथों में होने के कारण लीक से हटकर काम किया जा रहा जिससे रोगियों एवं तीमारदारों को सही समय पर सहायता नहीं मिल पाती दूरदराज कि सीएचसी और पीएचसी पर खड़ी गाड़ियों को किलोमीटर और माइलेज बढ़ाने के चक्कर में भेजा जा रहा है नजदीक की गाड़ियों को नहीं भेजा जाता कंपनी की इस घटिया सोच के शिकार कर्मचारी भी बन रहे है देर में गाड़ियों के पहुंचने पर मरीजों की हालत खराब होती और फिर उनके तीमारदार एंबुलेंस स्टाफ से दो-दो हाथ करने को तैयार हो जाते हैं इससे सरकार की भी काफी फजीहत हो रही है.


निशुल्क एंबुलेंस सेवाएं अब केवल पैसा कमाने की मशीन बन गई हैं


श्री मिश्र ने जीवीके कंपनी की मनमानी पर सवाल उठाते हुए कहा कि कंपनी की मनमानी व तानाशाही रवैया पर सवाल उठाते हुए कहा है कि कंपनी समान कार्य के लिए स्टाफ को समान वेतन नहीं दे रही है इसके दोहरे चरित्र के कारण कर्मचारियों में रोष व्याप्त है सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी जीवीके कंपनी अपने गोरखधंधे को बंद नहीं कर रही कंपनी इन निशुल्क एंबुलेंस सेवाओं को अब अपना एटीएम समझ रही है जिससे बेहतर सेवाओं पर विराम लगता जा रहा है और सरकार की खूब किरकिरी हो रही है.



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