ना काट सकेगी...
सुरेंद्र सैनी
तीखा हूँ तलवार ना काट सकेगी
बीच की दूरियां ना पाट सकेगी
कड़वे हैं ज़माने के तज़ुर्बे सारे
शहद भी हो तो ना चाट सकेगी
हवा में अधर लटकी है ज़िन्दगी
मिले नहीं कभी कोई लाट' सकेगी
(सहारा,खम्बा)
ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चले है
इंतज़ार है कब जमीं सपाट सकेगी
अपनों से मिल-बैठने का बहाना हो
देखो कब जाकर कोई हाट सकेगी
"उड़ता"तक़दीर कैसे नाट सकेगी
कोई तलवार कैसे काट सकेगी
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