मैं हिन्द हूँ हिंदुस्तान का...
कंचन झारखण्डे
अखण्डता का पाठ हो
एकता का वर्षगाँठ हो
मुमकिन हो हर परचम यहाँ
ऐसा अद्वितीय जहान चाहिए...
मैं हिन्द हूँ हिंदुस्तान का...
मुझें हर शक़्स में
हिंदुस्तान चाहिए...
जहाँ तिलक ही अभिमान है
तीन रंगों का ध्वज शान है।
देवताओं का है वास भी
मुझें मेरा देश महान चाहिए
मैं हिन्द हूँ हिंदुस्तान का...
मुझें हर शक़्स में
हिंदुस्तान चाहिए...
विद्रोहियों अब सावधान...
न वार बताकर करेंगे अब...
हम हिन्द है-हम हिन्द है...
जिंदा तुम्हें गड़ेंगे अब...
आतंकियों का नाश हो...
पापियों का सर्वनाश हो...
ऐसी पवित्र धरती व बुलंद
आसमान चाहिए...
मैं हिन्द हूँ हिंदुस्तान का...
मुझें हर शक़्स में
हिंदुस्तान चाहिए...
यहाँ माँ के चरण जन्नत है
पिता भाग्य विधाता है...
भाई-भाई मित्र हैं...
बहन सर्वदाता है...
हर रिश्तों को सँजोकर रखा है
अटूट बन्धनों का प्यार चाहिए
मैं हिन्द हूँ हिंदुस्तान का...
मुझें हर शक़्स में
हिंदुस्तान चाहिए...
जहाँ देवताओं का वास हो
जहाँ टूटे दिल में आस हो
जहां ख़ामोशी हो सर्वत्र मगर
बुलंदियों का आवास हो
सोने की चिड़ियाँ नाम है
शाकाहार भोजन आहार हो
जहाँ नेकता ही मूल हो
ऐसा कमान चाहिए....
मैं हिन्द हूँ हिंदुस्तान का...
मुझें हर शक़्स में
हिंदुस्तान चाहिए...
तुम मूक न बैठों हर्फ़ पर
हर तर्ज़ पर संवाद हो
कोई कैद न हो मुट्ठी में
हर शक़्स यूँ आबाद हो
स्वतंत्रता की मुँडेर पर
स्नेह का अभिवाद चाहिए
मैं हिन्द हूँ हिंदुस्तान का...
मुझें हर शक़्स में
हिंदुस्तान चाहिए...
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