कुष्ठ उन्मूलन को लेकर स्वयं सहायता समूह को किया गया प्रशिक्षित...

संजय मौर्य 


सेल्फ केयर किट का हुआ वितरण


कानपुर नगर | राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के अंतर्गत एएनएम प्रशिक्षण केंद्र में सोमवार को नो लेप्रोसी रिमेंस इंडिया फॉउंडेशन (एनआरएल) द्वारा कुष्ठ रोग को मुक्त करने हेतु काम कर रहे स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया।


नो लेप्रोसी रिमेंस इंडिया फॉउंडेशन, लखनऊ (एनआरएल) आये प्रशिक्षक संतोष कुमार महरा ने प्रशिक्षण में सभी स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को समूह की जानकारी , मीटिंग प्रक्रिया एवं मासिक बचत करने हेतु प्रोत्साहित किया। इसके अलावा उन्होंने आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 जानकारी दी। उन्होंने बताया अधिनियम में निर्धारित विकलांगता की 7 शर्तों के स्थान पर यह विधेयक 21 शर्तों को कवर करता है। साथ ही इस विधेयक के तहत विकलांगता माने जानी वाली 21 शर्तें इस प्रकार हैं– दृष्टिहीनता, कमजोर– दृटि, कुष्ठ रोग से मुक्त हो चुके व्यक्ति, बधिर ( बहरे और मुश्किल से सुन सकने वाले), चलने में अक्षम, बौनापन, बौद्धिक विकलांगता, मानसिक बीमारी, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार, सेरेब्रल पाल्सी, मांसपेशी दुर्विकास, स्थानीय स्नायविक परिस्थितियां, विशिष्ट प्रज्ञता अक्षमताएं, मल्टीपल स्केलेरोसिस, भाषण और भाषा संबंधी विकलांगता, थैलेसीमिया, होमोफिलिया, सिकल सेल बीमारी, एसिड अटैक के पीड़ित और पार्किंसंस बीमारी। जनपदीय कुष्ठ रोग कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ महेश ने सभी सदस्यों को दिव्यांग व्यक्ति संगठन (डीपीओ ) को बनाने के लिये भी प्रोत्साहित किया। कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र डॉ महेश ने सामजिक दूरी का विशेष रूप से ध्यान रखते हुए संगठन का गठन करने का वादा लिया | प्रशिक्षण के दौरान जिला कुष्ठ रोग सलाहकार डॉ संजय , फिजिओथेरपिस्ट गुलाब कुमार और पूजा शर्मा द्वारा समूह के सदस्यों को एमसीआर चप्पल एवं सेल्फ केयर किट का वितरण किया । साथ ही दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिये जरूरी जानकारी भी दी। मुख्य संदेश • कुष्ठ रोग एमडीटी (बहु-औषधि उपचार/मल्टीड्रग थेरपी) के साथ उपचार योग्य है। • बहु-औषधि उपचार/मल्टीड्रग थेरपी का नियमित सेवन कुष्ठ रोग का पूरा उपचार सुनिश्चित करता है। यह विकृतियों से बचाता है तथा अन्य व्यक्तियों में संचारण रोकता है। • रोग की शीघ्र पहचान, पर्याप्त उपचार और पूरा कोर्स (दवा की अवधि) कुष्ठ रोग के कारण होने वाली विकलांगता रोकती है। • कुष्ठ वंशानुगत नहीं है; यह माता-पिता से बच्चों में प्रसारित नहीं होता है। • कुष्ठरोग कारण संबंधी स्पर्श जैसे कि हाथ मिलाने या साथ खेलने या एक ही कार्यालय में काम करने के माध्यम से नहीं फैलता है। अनुपचारित रोगियों के साथ नज़दीकी और लगातार संपर्क रोग के प्रसारण को बढ़ावा देता है। • कुष्ठरोग पिछले पापों या अनैतिक व्यवहार का परिणाम नहीं है। यह माइकोबैक्टीरियम लेप्री कहे जाने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है। • कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को आजीविका का अधिकार है तथा सम्मान के साथ जीने का अधिकार है।


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