एक पीड़ित फौजी की दास्तां उसी की जुबानी
आलोक शर्मा
राजधानी | लखनऊ में मानसिक रूप से उत्पीड़न का शिकार पीड़ित फौजी की दास्तां कुछ इस तरह है की सेना से रिटायर्ड फौजी अपनी जीविका चलाने के लिए लखनऊ के संभागीय परिवहन कार्यालय के पास कबाड़ी का काम करता है जिसका लाइसेंस उसने परिवहन विभाग द्वारा प्राप्त किया हुए है फौजी अपनी कबाड़ी कि दुकान में पुरानी गाडियां को परिवहन विभाग द्वारा निष्प्रयोज्य घोषित कर दी जाती है उसकी अनुमति लेकर उसे कबाड़ में तब्दील कर अपनी जीविका चलता है पीड़ित फौजी के अनुसार उस अख़बारों के माध्यम से पता चला कि 14.9.20 को गोमती नगर में जो वाहन चोरों का गिरोह पकड़ा गया था उसके अनुसार फौजी कबाड़ी ने पुराने समान की खरीद फरोख्त में लिप्त होने की बात सामने आई है
इस दौरान पीड़ित फौजी ने अपनी देश सेवा का हवाला देते हुए कहा कि मेरे द्वारा ऐसा कोई भी अवैध कार्य नहीं किया गया है और इस तरह के आरोप लगाए जाने से उसे मानसिक रूप से काफी प्रतांडना झेलनी पड़ रही है साथ ही उसने ये भी कहा कि अगर इस घटना में उसकी लिप्तता पाई जाए तो बह संवैधानिक कार्यवाही के लिए तैयार है।
अब देखना ये है कि देश की सेवा करने वाले और उसमे अपना जीवन न्योछावर करने वाले पीड़ित फौजी की न्याय कब मिलता है!
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