देश में 'प्रतियोगी' युवाओं के 'अच्छे दिन' की शुरूआत...

अंकित पांडे 


देश में आज भी युवा सरकारी नौकरी को प्राथमिकता देते है और उनका सपना रहता है कि वे पढ लिखकर एक अच्छे पद पर जाकर सरकारी नौकरी करेंगे और देश व समाज की सेवा करेंगे। लेकिन सरकारी नौकरी पाने के लिए कितनी मेहनत और लगन की जरूरत होती है यह किसी प्रतियोगी युवा से अधिक कोई नही जान सकता है। और यही मेहनत और लगन उस युवा को आगे बढने में सहायक होता है। लेकिन सरकारी नौकरी पाने में कुछ ऐसी भी दिक्कते पाई जाती है जो प्रतियोगी के मेहनत और लगन से अलग होती है। वे चीजे है परीक्षाओं की अधिकता, परीक्षा केन्द्रों की दूरी, भाषा की समस्या इत्यादि लेकिन अब सरकार ने करीब हर वर्ष तीन करोड़ प्रतियोगी परीक्षा में सम्मिलित होने वाले युवाओं के समस्या को ध्यान में रखकर एक अहम फैसला लिया है। जो बेशक प्रतियोगी युवाओं के लिए काफी 'सहायक' साबित होगा। केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने सरकार के तरफ युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं मे 'राहत' की घोषणा की।


जिसमें बताया गया कि अगले वर्ष से एसएससी, बैंक और रेलवे के लिए आयोजित होने वाली प्रारम्भिक परीक्षा अलग अलग न होकर अब केवल एक ही होगी। जिसमें युवा अपने स्वेच्छा से एसएससी, बैंक अथवा रेलवे की मुख्य परीक्षा में अगले तीन वर्ष तक सम्मिलित हो सकेगा। इस बदलाव से उन युवाओं को काफी सहूलियत मिलेगी जो इन विभागों की प्रारम्भिक परीक्षा की अलग अलग तैयारी करते थे। अब केवल 'कामन इलिजबिलिटी टेस्ट' के माध्यम से प्राप्त अंकों के हिसाब से बैंक, रेलवे और एसएससी की मुख्य परीक्षा में सम्मिलित होने का मौका मिलेगा। पहले विभिन्न परीक्षाओं को आयोजित कराने के लिए करीब दो दर्जन एजेंसियां कार्य करती थी लेकिन अब केवल 'नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी' के माध्यम से परीक्षाएं आयोजित कराने का प्रावधान है। युवाओं के लिए राहत भरी खबर यह भी है कि अब इन परीक्षाओं को हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा अपनी क्षेत्रीय भाषा में भी देने का विकल्प चुन सकते है। जो प्रतियोगी युवाओं के लिए काफी अच्छा विकल्प है। इस बदले हुए तरीके में अब केवल बडे शहरों में ही परीक्षाएं आयोजित नही होंगी बल्कि देश के सभी जिलों में इसका आयोजन होगा। जिससे युवा अपने जिले के बाहर जाने वाली समस्या से मुक्त रहे। हालांकि परीक्षा केन्द्र चुनने का विकल्प परीक्षार्थी पर ही रहेगा। वह अपने विकल्प के माध्यम से शहर चुन सकता है जहां वह प्रारम्भिक परीक्षा देना चाहता है। इस परिवर्तन के बाद महिला प्रतियोगियों को काफी सहूलियत रहेगी जो दूर आयोजित होने वाली परीक्षाओं में काफी दिक्कतों का सामना करती थी। इस बदलाव के बाद काफी राहत रहेगी। इस बदलाब के बाद परीक्षा में 'भीड' की कमी भी देखने को मिल सकती है। क्योकि अभी तक एक ही युवा अलग अलग परीक्षाओं के लिए अलग अलग आवेदन करता था। जो कही न कही भीड बढाने मे सहायक होता था लेकिन इस बदलाव के बाद एक ही आवेदन के माध्यम से युवाओं को तीन प्रारम्भिक परीक्षाओं में बैठने से छुटकारा मिल जायेगा। और अगले दिन वर्ष तक बैंक, रेलवे और एसएससी की मुख्य परीक्षा में सम्मिलित हो सकता है। इस बदलाव से बेशक युवाओं के दिमाग में जो परीक्षा को लेकर तनाव बना रहता है उससे काफी राहत मिलेगी। और युवा पूरे मनोयोग से अपनी प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी करेगा। सरकार के इस फैसले के बाद भविष्य में प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए 'अच्छे दिन' की शुरूआत है जो उनके कैरियर के लिए एक सही मार्ग प्रशस्त कर रहा है। अभी हाल ही में सरकार ने शिक्षा नीति में बहुत ही उम्दा बदलाव करके विद्यार्थियों के लिए एक 'सरल' और 'सही' निर्णय लिया ठीक उसी तरह सरकार अब प्रतियोगी परीक्षाओं में भी 'सरलीकरण' करके प्रतियोगियों के मन में उर्जा का संचार कर दिया। बेशक सरकार के इस फैसले से युवाओं को काफी राहत मिलेगी और वे अपने लक्ष्य को पाने में और मजबूत साबित होंगे।


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