चकबंदी का खेल कानून कायदा फेल 40 साल से न्याय मांग रही विधवा....
संदीप मौर्य
अपर न्यायालयों के आदेश नजरन्दाज चकबंदी अधिकारी का अंधा कानून हावी
रायबरेली | जहां पैसे का खेल शुरू हो जाता है वहां कानून कायदा फेल हो जाता है 40 साल से अपनी जमीन का अमल दरामद करने के लिए भटक रहे दलित विधवा महिला की लाचारी पर चकबंदी विभाग तनिक भी नहीं पसीजा ऊपरी अदालतों के आदेशों को अनदेखा करने वाले चकबंदी अधिकारी के अंधे कानून के आगे सबकुछ फेल है मामला सलोन तहसील के राजस्व गांव कचनावा का है जहां पर अपनी आवंटित भूमि संख्या 1366 मि को अपने नाम अमल दरामद कराने के लिए धोबी बिरादरी की सुग्गादेवीउर्फ सुखदेवी पिछले 40 सालों से अदालतों के चक्कर काट रही है राजस्व परिषद हाई कोर्ट कमिश्नरी तथा अपर जिलाधिकारी कोर्ट से पीड़ित के पक्ष में फैसला भी हुआ किंतु तहसील प्रशासन सलोन और चकबंदी अधिकारी सलोन द्वितीय ने सुग्गा उर्फ सुखदेई के नाम जमीन संख्या 1366मि की अमलदरामद नही किया चकबंदी अधिकारी दलित विधवा को अंधेरे में रखकर उसे बेवजह परेशान कर रहे हैं और उसे झूठे आश्वासन से गुमराह करते चले आ रहे हैं जबकि उन्होंने उस के विपक्षियो औसान पुत्र ननकू राजू व सुन्दर पुत्रगण शीतलदीन के पक्ष में 19/11/18 को आदेश पारित कर दिया है दलित सुग्गा धोबी के बेटे राम प्यारे पुत्र सुकसू सुक्सू निवासी कचनावा ने चकबंदी अधिकारी पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है और और माँ सुग्गा को गुमराह करने की बात कही है रामप्यारे ने अपने शिकायती पत्र में यह भी कहा है कि जब न्यायालय का स्पष्ठ आदेश है कि श्रीमती सुग्गा के नाम आवंटन की प्रकिया नियमानुसार की गयी है और विपक्षियो के दावे निरस्त कर दिये गये हैं तब विपक्षियो के नाम उक्त भूमिकी अमलदरामद क्यो कर दी गयी रामप्यारे ने जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगायी है
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