आवारग़ी -
मंजुल भारद्वाज
अनजान राहों से
मेरा याराना है
आवारग़ी का जुनून
मेरा फ़साना है
अनकहे
अनसुलझे रहस्यों को भेदना
मेरा शग़ल है
ज़िंदगी जीने की
फ़ितरत अलग है
राज घराने
सता के खजाने
कहा बाँध पाएं है
हवाओं को
खाक़ बनकर
उड़ने का
हुनर और है
उठना है मिट्टी से
मिट्टी में मिल जाना है
मेरा ज़िंदगी से इश्क़
सुफ़ियाना है!
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