युवाओं को नशे के खेल में फंसाकर राष्ट्रीय खेल दिवस क्यों.? ज्योति बाबा

पुनिता कुशवाहा 


कोटपा-लॉ शत-प्रतिशत लागू कर संभव है कोरोना पर पूर्ण विजय


छात्रों को नशे में डालकर राष्ट्र निर्माण की बात बेमानी


कानपुर l युवाओं की तूफानी शक्ति को राष्ट्रहितकारी व समाजोपयोगी दिशा देने में खेल अहम भूमिका निभाते हैं इसीलिए खेलो इंडिया को सफल बनाने हेतु युवा वर्ग को नशे के रोग से बचाना ही होगा, उपरोक्त बात सोसायटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर कोरोना मिटाओ नशा हटाओ हरियाली लाओ अभियान के अंतर्गत वर्चुअल संगोष्ठी शीर्षक राष्ट्र के चौमुखी विकास में खेलों की भूमिका पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख योग गुरु ज्योति बाबा ने कही


,श्री ज्योति बाबा ने आगे कहा कि छात्रों की सकारात्मक शक्ति का क्षय नशे के कारण हो रहा है जो ऊर्जा समाज के विकास में खर्च होनी थी वह नशे के खेल में फंसकर तबाह हो रही है बाबा श्री ने जोर देकर कहा कि कानपुर में कोरोना को रोकने हेतु प्रथम चरण में कोटपा- लॉ को शत-प्रतिशत सामाजिक संस्थाओं एंड मिक के सहयोग से लागू किया जाए,क्योंकि सार्वजनिक स्थलों पर जब कोई धूम्रपान नहीं करेगा व पान मसाला खाकर नहीं थूकेगा तब कोरोना हार जाएगा,क्योंकि पूरे शहर को पान मसाला तंबाकू खाने वालों ने पीकदान बना दिया है तथा अपने मुख को गुदाद्वार से भी ज्यादा गंदा बना दिया है इसीलिए गंदगी मुक्त भारत के लिए स्वयं की गंदगी मुक्त करने का संकल्प सभी को इस महामारी से निपटने के लिए लेना होगा l राष्ट्रीय संयोजक कुलदीप सिंह परमार एडवोकेट ने कहा कि शहर के ग्रामीण क्षेत्रों में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और कोरोना गाइडलाइंस का पालन तो कोसों दूर की बात है जब जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गुटखा पर प्रतिबंध है कि पान मसाला में तंबाकू मिलाकर नहीं बेचा जाएगा और पाउच भी प्लास्टिक का नहीं होगा तथा नियम विरुद्ध 18 वर्ष के नीचे के बच्चों को नहीं बेचा जाएगा,फिर भी यह सब किसकी शह पर हो रहा है, परिणाम स्वरूप अबोध बच्चे नशे के खेल में फंसकर कैंसर का तोहफा लेने के साथ परिवार को कर्जगीर बना रहे हैं मीटिंग्स का संचालन समाजसेवी आलोक मेहरोत्रा व धन्यवाद समाज चिंतक राकेश चौरसिया ने दिया अन्य प्रमुख विचारक डॉ मनीष विश्नोई, शिक्षक उमेश शुक्ला, दिलीप सैनी ,महंत राम अवतार दास,अजय वर्मा इत्यादि थे l


टिप्पणियाँ