पुनिता कुशवाहा
कौन कहता है कि बादल में सुराग नही हो सकता एक पत्थर तो उठाकर मारो यारो
कानपुर | कहानी एक चाय वाली कि जिस ने फुटपाथ पर चाय लगाते लगाते ऐसा कर डाला जो लोगों के लिए मिसाल बन गया शायद आपको यह सुनकर अटपटा सा लग रहा होगा लेकिन जब आप भी मेरे साथ इस इस सच्चाई से मुखातिब होंगे तो दाँतो तले अंगुली दबा लेंगे। कहने का आशय शिर्फ़ यह है कोई भी काम नामुमकिन नही, यदि ब्यक्ति में लगन और मेहनत करने का जज़्बा है तो सफलता उसके कदम चूमेगी इसे सच करके दिखाया नगर के एक चाय वाले ने जिसका नाम महबूब मालिक है
जिसके मेहनत और लगन के लिये पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने बुधवार को ट्विटर पर एक 29 साल के चाय वाले का फोटो शेयर किया . ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि कानपुर के रहने वाले महबूब मलिक से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए . इस ट्वीट को लोगों ने भी बहुत पसंद किया . वहीं ट्वीट को अबतक 23 हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं . दरअसल , ट्वीट में वीवीएस लक्ष्मण ने महबूब मलिक के बारे में लिखा . उन्होंने लिखा की महबूब की कानपुर में एक छोटी सी चाय की दुकान है और इस व्यापार से होने वाली आमदनी से वह 40 बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाते हैं .
ट्वीट करते हुए वीवीएस लक्ष्मण ने लिखा कि महबूब चाय की दुकान से होने वाली आमदनी का 80 प्रतिशत हिस्सा गरीब बच्चों की शिक्षा पर खर्च कर देते हैं . वह सही में प्रेरणास्रोत है . रोड के किनारे शुरू किया स्कूल मलिक 4 साल पहले 2015 में स्कूल शुरु किया । शुरुआत में उन्होंने अपना स्कूल रोड के किनारे शुरु किया था । लेकिन जैसे जैसे बच्चों की संख्या बढ़ती गई और उनकी आसपास के इलाकों में जान पहचान बढ़ी और धीरे - धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती गयी । आज उनके स्कूल में करीब 300 बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जा रही है । जब बच्चों की संख्या काफी बढ़ गई । तो उन्होंने फिर एक हॉल किराये पर ले लिया और वहां से बच्चों की मदद करने लगे । खुद गरीबी की वजह से बहुत ज्यादा पढ़ाई न कर पाने वाले महबूब समाज के लिए एक मिसाल बन गए हैं । उन्होंने समाज के गरीब बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है । उत्तर प्रदेश का मानचेस्टर कहे जाने वाले कानपुर के शारदा नगर में रहने वाले 10 वीं पास 29 वर्षीय मोहम्मद महबूब मलिक अब चाय बेचकर 40 ऐसे परिवारों के बच्चों की शिक्षा का बोझ उठा रहे हैं , जो तंगहाली के चलते बच्चों को स्कूल भेजने में समर्थ नहीं है । आर्थिक तंगी के कारण अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए मलिक की शारदा नगर चैराहे के पर एक छोटी सी चाय की दुकान है , जिससे होने वाली आमदनी का 80 प्रतिशत इन बच्चों की पढ़ाई पर खर्च कर देते हैं । दुकान पर स्लोगन लगाया है- मां जब भी तुम्हारी याद आती है , जब तुम नहीं होती हो तो मलिक भाई की चाय काम आती है शारदा नगर चैराहे के फुटपाथ पर चाय की दुकान , दोस्तों की मदद से एनजीओ बनाया , फिर कक्षा चार तक इंग्लिश मीडियम स्कूल खोला। मलिक की कहानी को डीडी नेशनल ने वर्ष 2019 में देश के उत्तम समाजसेवियों में सम्मान से नवाजा और पीएमओ कार्यालय में कहानी को पसंद किया एवं राज्यपाल द्वारा सम्मान प्राप्त हुआ। अपनी मेहनत और लगन से इस वर्ष 100 जरूरतमंद बच्चों जो घर की आर्थिक स्थिति सही न होने से पढ़ाई से वंचित है उन्हें अपने मां तुझे सलाम प्राइमरी विद्यालय में मुफ्त में शिक्षा देंगे। मां तुझे सलाम सोशल फाउंडेशन। निशुल्क शिक्षा ही हमारी पहचान।मलिक ने बताया , मैं पांच भाइयों में सबसे छोटा हूं । बचपन बेहद गरीबी में बीता । परिवार बड़ा था और कमाने वाले सिर्फ पिता थे । संसाधनों की कमी के कारण बमुश्किल हाईस्कूल तक ही पढ़ सका । जब किसी बच्चे को पढ़ने की उम्र में कूड़ा बीनते या भीख मांगते हुए देखता तो मन विचलित हो जाता था । उसमें उन्हें अपना बचपन दिखने लगता।मोहम्मद मलिक ने बताया , 2017 में अपनी जमा पूंजी के जरिए बेसहारा बच्चों के लिए कोचिंग सेंटर खोला था । यह सेंटर शारदा नगर , गुरुदेव टाकीज के पास मलिक बस्ती और चकेरी के कांशीराम कालोनी में खोला गया था , जिसमें बच्चों को मुफ्त पढ़ाया जाता था । " जब इस काम की जानकारी मलिक के दोस्त नीलेश कुमार को हुई तो उसने उनका हौसला बढ़ाया । नीलेश ने एनजीओ बनाकर सेंटर संचालित करने की राय दी । मां तुझे सलाम फाउंडेशन नाम से एनजीओ बनाया और इसी के जरिए सेंटर से 40 बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जा रही है।मलिक बताते हैं कि बच्चों की किताबें , यूनिफार्म , स्टेशनरी , जूते - मोजे , बैग खरीदकर उन्हें एक बार दिया जाता है । स्कूल किराए के भवन में चल रहा है , जिसका हर महीने करीब 10 हजार रुपए किराया है । चार शिक्षक हैं , टीचर अंकित पाल (इंजीनियरिंग छात्र) एवं मानसी शुक्ला बीएड कर चुकी हैं और टेट की तैयारी कर रही हैं । तीसरे टीचर पंकज गोस्वामी हैं , जो मेडिकल रिप्रजेंटेटिव हैं । बच्चों को पढ़ाने के बाद अपने काम पर जाते हैं । चौथे टीचर आकांक्षा पांडेय बीएड कर रही हैं।मलिक की चाय की दुकान कोचिंग और मंडी के बीच में है । आईआईटी , सीपीएमटी , इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले छात्र आसपास रहते हैं । जब प्रतियोगी परीक्षा होती है तो छात्रों को निशुल्क चाय होती है । मलिक कहते हैं कि मैंने अपनी दुकान पर एक स्लोगन भी लगा रखा है- मां जब भी तुम्हारी याद आती है , जब तुम नहीं होती हो तो मलिक भाई की चाय काम आती है । वे आगे ये भी बताते हैं कि शुरुआत में लोगों ने मजाक उड़ाया , लेकिन उनकी बातों की परवाह कभी नहीं की । जो मुझे अच्छा लगता है , वह काम करने से पीछे नहीं हटता।मलिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित हैं । सत्य ही कहा गया अगर सच्ची लगन हो तो रास्ते आशान होते है।
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