खाद एवं बीज की समस्याओं से जूझते हुए किसान की पीड़ा को समझने वाला कोई नहीं:

प्रकाश शुक्ला


जनपद | उन्नाव में कई जगहों पर खाद एवं बीज की समस्याओं से जूझते हुए किसान की पीड़ा को समझने वाला शायद ही कोई होगा। प्रदेश के मुखिया हो या फिर जिले के मुखिया दोनों ही बखूबी, इमानदारी से अपने अपने कर्तव्यों का निर्वाहन कर रहे हैं। अगर कोई किसानों के हकों पर डाका डालने का काम कर रहा तो वह है जनपद में खाद, बीज और रसायन के डीलर । जिनकी वजह से दुकानदारों को भी मुसीबतों से जूझना पड़ रहा है । एक तरफ कोरोना वायरस ने किसानों की कमर की हड्डी तोड़ने का काम किया है। वही दूसरी तरफ किसान खाद एवं बीज की समस्याओं से जूझ रहे है। उधर डीलरों ने हड्डी तोड़ दी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीधे फरमान जारी कर दिया कि कोई भी फिक्स रेट से अधिक में खाद बीज और रसायन न खरीदें। नाम न छापने की शर्त पर खाद एवं रसायन के विक्रेता ने बताया कि डीलरों से अधिक रेट से खाद मिलती है तो हम सभी की मजबूरी है कि 20-25 रुपये बढ़ाकर दामों में बेचने की। जानकार सूत्रों की माने तो उन्नाव जनपद में चार बड़े डीलर जो कि पूरे जनपद का खाद का संचालन अपने हाथों में रखते हैं और मनमानी वसूली भी करते हैं।इन चारों के हाथ में जनपद उन्नाव के किसान पूरी तरह से मुसीबत झेलने को मजबूर हो रहे है। जिस पर दुकानदार भी मजबूरी बस बढ़े दामों में अगर खाद बीज खरीदेंगे तो किसान को सस्ता कहां से देंगे ।जबकि निर्धारित मूल्य ₹266.50 प्रति बोरी अंकित है अब सबसे बड़ा सवाल प्रदेश का मुखिया कहते है कि बढ़े हुए दाम में खाद न खरीदा जाए तो यह चौकड़ी अधिक दामों में जब यूरिया खाद 330 कि दुकानदारों को ही देंगे तो किसानों तक 330 से ₹345 प्रति बोरी पड़ती है। अब ऐसे में किसानों की फसल बगैर खाद और रसायन के ध्वस्त होती जा रही है ।


सरकार तो अपना काम बखूबी कर रही है।जमाखोरी करने के बाद अपनी तिजोरीओ को भरने का काम कर रहा है। तथा सरकार की योजनाओं पर पलीता लगाने का काम कर रहे हैं ।अगर इन डीलरों पर नकेल न कसी गई तो वह दिन दूर नहीं जब दूसरों का पेट पालने वाला किसान खुद भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएगा ।लेकिन चंद रसूखदारो के पेट भरने के चक्कर में सरकारी नुमाइंदे भी उनके तलवे चाटते नजर आ रहे हैं। नहीं तो क्या कारण है लखनऊ से निकली हुई टीम जाँच के करके वापस चली जाती हैं और मुख्यमंत्री को नीट एंड क्लीन की रिपोर्ट भी भेज दी जाती है।तो स्वाभाविक बात है जब प्रिंट रेट से अधिक डीलरों को ही पैसा चाहिए ।तो फिर किसानों को सस्ती खाद कहां से मिलेगी ।जब अभी डीलरों के खातों में खाद का पैसा आरटीजीएस किया जाता है तो प्रिंट रेट का पैसा अलग जाता है।और बढ़े हुए दाम का पैसा अलग आरटीजीएस किया जाता है ।यदि ईमानदारी से इन डीलरों के अकाउंट की जांच हो जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी बड़ी आसानी से हो जाएगा।वक्त है जब इमानदार जिलाधिकारी उन्नाव इस भयानक गिरोह के मकड़जाल में घुसकर जांच करा दे तो जमाखोरी का बड़ा काला कारोबार निकलकर सामने आएगा।*


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