सावन की फुहार..
मीना मौर्य {मशाल}
तपती धरती को मिला सावन की फुहार
बरखा में भीग-भीग कर ठंडी हुई बयार
मनमोहक मौसम में नाच उठे हैं मोर
नभ में बिजली चमके घटा गिरी घनघोर
हरे रंग से सजी धरती ले रही अंगड़ाई
धानी चुनर की शोभा मन मस्तिक पर छाई
सावन समीर उंड़ाया सखियों का आंचल
झूला-झूलना भूली देख काले बादल.
सावन ने आकर किया धरती का श्रृंगार
अद्भुत शोभा देख विरहनी हो गई बीमार
मेघदल चल दिया चांदुनी भरा आकाश
ऐसी छटा देख कवि करें कविता विकाश
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