R.N.I. No. UPHIN/2005/17084
वशिष्ठ मौर्य
देवरिया। जिले के हर गांवों में सादगीपूर्ण तरीके से नागपंचमी का पर्व लोगों ने मनाया। इस दौरान ना तो लोगों ने पूर्व की भांति खेलों का आनंद उठाया और ना ही बाग बगीचे में झूले ही पड़े।
नाग देवता के नाम पर समर्पित नागपंचमी पर्व के अवसर पर जहां महिलाएं घर में नाग देवता की पूजा अर्चना करती हैं वहीं पुरुष वर्ग खेत में नाग देव के लिए दूध व लावा चढ़ाते हैं। इसके साथ ही घर व बाहर की पूजा करने के बाद युवाओं का एक वर्ग बाग बगीचे में भिन्न खेल में हिस्सा लेता है और लड़कियां बागीचों में झूला डालकर सावन के गीतों के साथ आनंद उठाती हैं। लेकिन इस बार के नाग पंचमी में पीछले वर्ष की भांति स्थिति थोड़ी उलट रही है।
कोरोना महामारी ने लोगों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। इस बार घरों व खेल खलिहानों में नाग देवता का पूजन अर्चन तो किया गया लेकिन कोरोंना महामारी को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए लोगों ने अधिकांश जगहों पर खेलों का आयोजन नहीं किया।
इस बार बाग बगीचा सभी के सभी सूने पड़े रहे। अधिकांश जगहों पर हर बार की तरह कबड्डी व गंवईं स्तर पर खेले जाने वाले चिक्का का आयोजन भी नहीं हो पाया। यह नाग पंचमी ही है जिसके बहाने खेलों की आड़ में शारिरिक जोर आजमाईश हो जाया करती थी। गांव के लोगों को ऐसी प्रतिभा भी देखने को मिल जाया करती थी जो कबड्डी, कूद, रस्साकशी और अन्य खेलों में विशेष कौशल दिखाते थे। अपने कौशल के बल पर गांव के लोगों में अपनी दिखाते थे।
अपने कौशल के बल पर गांव के लोगों में अपनी विशेष छाप भी छोड़ जाते थे और अपने से छोटो के लिए एक नजीर भी पेश करते थे। खेल के आयोजन के बाद गांव की बच्चियों के द्वारा झूला लगाया जाता था जिसका लुफ्त उपस्थित लड़कियों का समूह उठाती थी और सावन में गाए जाने वाले गीतों से पूरा वातावरण गूंज उठता था। लेकिन इस बार ऐसा बहुत कुछ देखने को नहीं मिला जो पूर्व में हुआ करता था।
लोगों ने आज के दिन को याद करते हुए कहा कि कोरोना ने सबको ऐसा मजबूर कर दिया है कि शारिरीक दुरी बनाए रखा जाए क्योंकि इसी में सबकी भलाई है। कोरोना से जंग जीत लिया जाएगा तो फिर अगले वर्ष नागपंचमी पर खेल का आयोजन कर पूरे उत्साह से भाग लिया जाएगा।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें