स्वदेशी की मूल भावना को आत्मसात कर आत्मगौरव बढ़ाएं..
किशोर मोहन गुप्ता
कानपुर। राष्ट्र की भावना जन-जन की आराधना है, पूजा है,वंदना है व्यक्ति की पूजा ही तो ईश्वर की पूजा है भगवान की व्याप्ति कण कण में है, इसीलिए हमें स्वदेशी की मूल भावना को आत्मसात कर आत्म निष्ठा बढ़ाते हुए विश्व बंधुत्व के उद्देश्यों को प्राप्त करना है, उपरोक्त बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में संविधान रक्षक दल के सहयोग से कोरोना मिटाओ नशा हटाओ पेड़ लगाओ अभियान के तहत आयोजित वेबीनार शीर्षक "क्या राष्ट्रवाद देशवासियों के बीच एकता का मंत्र है" मैं अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख योग गुरु ज्योति बाबा ने कही, ज्योति बाबा ने आगे कहा कि राष्ट्रवाद जोड़ता है ना कि तोड़ता है मानव चाहे वह जिस देश जाति या धर्म का हो एक दूसरे का बंधु है
जब हम स्वदेशी की मूल भावना को आत्मसात करेंगे तो हमें आत्मविश्वास,आत्मनिष्ठा, आत्मगौरव और आत्मश्रेष्ठता की भावनाएं आ जाएंगी,जिससे व्यक्ति और राष्ट्र दोनों का कल्याण होता है वरिष्ठ समाज चिंतक राकेश चौरसिया ने कहा की स्वदेशी वस्तुओं से ही हमारा कल्याण होगा,विदेशी से नहीं,हमें स्वदेश में निर्मित वस्तुओं को स्वीकार करना चाहिए,भले ही वह गुणवत्ता में विदेशी वस्तु के सामने लचर पड़ती हो,तभी हम राष्ट्र की एकता और अखंडता को प्रखर कर सकेंगे।लखनऊ से संविधान रक्षक दल के राष्ट्रीय संयोजक राजेंद्र कश्यप ने कहा कि राष्ट्रवाद का फूल जातिवाद व क्षेत्रवाद के जहर से मुरझा जाता है इसीलिए हमें अपने छोटे लाभों को दरकिनार करते हुए व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ने के लिए राष्ट्रवाद को मजबूत करना है।
वेबीनार का संचालन थृॊ एम एंटरटेनमेंट के डायरेक्टर श्री अमित गुप्ता तथा धन्यवाद राष्ट्रीय संस्थापक श्री ओमपाल कश्यप ने देते हुए कहा कि दलगत व जातिगत भाव से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता व अखंडता के लिए काम करना समय की सबसे बड़ी मांग है।अन्य भाग लेने वाले प्रमुख राष्ट्र चिंतक डॉ अजीत सिंह, फैमिली हॉस्पिटल,आलोक मेहरोत्रा लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड,स्वामी गीता,अमर सिंह,मनोज पटेल इत्यादि थे।
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