प्रमुख संवाददाता
भा ज पा सरकार में मीडिया पर हमलों की बाढ़, बेवाना थाना अध्यक्ष के खिलाफ पत्रकारों ने खोला मोर्चा*
अंबेडकर नगर | पत्रकारिता करने के लिए भारत विश्व में चौथा ख़तरनाक देश माना जाता है, परन्तु उत्तर प्रदेश पत्रकारों के लिए पहला ख़तरनाक राज्य है। मीडिया और पत्रकार अधिकारियों की आँख की किरकिरी बने हुए है। सूबे में अपराधी किस तरह जनता पर कहर बरसा रहे है यह किसी से छिपा नहीं है। थानेदार स्तर से लगायत जोन का आईजी भी वही होता है जिसकी पकड़ सत्ता की गलियारों में मजबूत हो। जिस अधिकारी की पकड़ सत्ता में नहीं है वह सस्पेंड या प्रतीक्षारत होता है। इन्ही कारणों से अपराधियों के हौसले उत्तर प्रदेश में बुलंद है। बेवाना थाने की पुलिस बिकती है खरीददार चाहिए यह बेवाना की आम जनता कहती है जिले का बेवाना थानाध्यक्ष एक नंबर का घूसखोर है ? विपक्षियों से पैसा लेकर सम्मानित लोगों को करता है अपमानित विपक्षियों के दबाव मेंवरिष्ठ पत्रकार राजितराम पाठक जी को सुबह नौ बजे से थाने में बैठाकर किया अपमानित 40 साल पुराने विवादित जमीन का राजितराम पाठक के पक्ष में अदालत से है स्थगन आदेश फिर भी विपक्षी से मोटी रकम लेकर उल्टे पाठक जी को थाने में बैठाया, मानसिक रूप से उत्पीड़न किया। कप्तान ,एएसपी और भाजपा जिला अध्यक्ष से शिकायत के बाद राजितराम पाठक को तीन बजे शाम को छोड़ा गया आरोप है कि विपक्षी से 25 हजार की रकम लेकर घंटों किया, मानसिक उत्पीड़न, जेल भेजने तक दे डाली धमकी। जबकि पाठक सीधे सादे और शांति प्रिय व्यक्ति हैं और सीनियर पत्रकार हैं शिकायत करने वाला विपक्षी मालीपुर थाना क्षेत्र का है अश्विनी कुमार विश्वकर्मा मालीपुर थाने से स्थानांतरित होकर बेवाना में आया है।
इस पर नंबर एक का घूसखोर होने का है आरोप सुबह से देर रात तक थाने में दलालों का लगता है जमघट पीड़ित और फरियादी रहते हैं परेशान थानाध्यक्ष की जेब गरम करने के बाद थोड़ी बहुत होती है कथित सुनवाई, गुंडा बदमाशों और पेशेवर अपराधियों को पकड़ने के बजाय सम्मानित लोगों को कर रहा है बेज्जत, क्षेत्र में उसकी कार्यशैली से भारी रोष है शासन प्रशासन और योगी सरकार की साख में बट्टा लगा रहा है बेवाना थानाध्यक्ष , इस पर तमाम तरह के हैं गंभीर आरोप एसपी आलोक प्रियदर्शी के निर्देश पर जांच के लिए पाँच सदस्यीय एक टीम गठित की गई। सम्मानित लोगों का नाजायज उत्पीड़न करने वाले थानाध्यक्ष बेवाना के खिलाफ कार्रवाई और विभागीय जांच के लिए मुख्यमंत्री ,डीजीपी और प्रमुख सचिव से जांच की मांग की गई। भले ही मीडिया लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता हो मगर अपनी कमी छिपाने के लिए सरकार मीडिया के खिलाफ बयानबाजी करने से बाज नहीं आती और इनकी नजर में फेल होने वाले पत्रकार बनते है। यदि इनकी पोल और विफलताओ का चिट्ठा कोई पत्रकार खोलना शुरू करता है तो उस पत्रकार को पुलिसिया उत्पीड़न के साथ-साथ बदमाशों का भी सामना करना पड़ता है। कितनी और नीलाम होगी पत्रकारों की इज्जत! अरे अब तो थोड़ा शर्म करो एक-दो कौड़ी का थानेदार जनपद के पत्रकारों पर लाठिया बरसता है उसके बाबजूद इंस्पेक्टर अपनी पद पर तैनात रहता है। इस दौरान प्रेस क्लब अध्यक्ष शैलेंद्र तिवारी वरिष्ठ पत्रकार हिंदुस्तान सर्वजीत त्रिपाठी कमर हसनैन अरुणेश सिंह इजराइल देवा पांडे विजेंद्र वीर सिंह ज्ञान प्रकाश पाठक सुनील श्रीवास्तव पंकज शुक्ला मनीष मिश्रा पीयूष कटैया त्रिमूर्ति बर्मा प्रेम नारायण तिवारी रामकृष्ण तिवारी अनूप तिवारी हैदर अब्बास सहित सैकड़ों की तादाद में पत्रकारों के साथ अपर पुलिस अधीक्षक से वार्ता हुई ।
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