लुटेरों की नज़र पराए धन पर..

खुद को आज जलती मशाल कर रखी हूं



मीना मौर्य  "मशाल" 


जीवन के तजुर्बे संभाल कर रखी हूं


कल काम आए देखभाल कर रखी हूं


हमको वक्त क्या दिखाएगा आईना मैं


खुद को वक़्त में ढाल कर रखी हूं


बहुत उलझ चुकी गैरो के उलझनों में


अब बवाल से खुद को टाल कर रखी हूं


सब लोग सांपों के जहर से बचते है


वो ज़हर अपने तन में पाल कर रखी हूं


अक्सर शत्रु धोखे से वार किया करते है।


बचाव में तलवार निकाल कर रखी हूं


पराए धन पर लूटेरे नज़र रखते हैं


खुद को पहले से कंगाल कर रखी हूं


गमो की आंधियां दिन- रात चल रही है


मैं जिंदगी की खुशी बहाल कर रखी हूं


अपनों ने तोड़ दिए सारे रिश्ते- नाते


क्यू टूटे रिश्तों का मलाल कर रखी हूं


टिमटिमाता दीया थी कभी रोशनी की


खुद को आज जलती मशाल कर रखी हूं


 


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