डॉक्टर कलाम की पुण्यतिथि पर
सुजाता मौर्य
चंदौली | डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारत के श्रेष्ठ वैज्ञानिक व विशिष्ट नेता थे। वे बहुत ही लोकप्रिय थे विशेषकर युवाओं में, और फेसबुक पर अठ्ठारह लाख लोग उन्हें फाँलो करते थे।
कहा कि अबुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम जहां एक ओर बहुत ही सरल प्रवृत्ति के इंसान थे तो दूसरी ओर एक वैज्ञानिक होने के नाते विज्ञान और प्रौद्योगिकी में ढृढ़- विश्वास रखते थे। उनका मानना था कि मनुष्य कि आन्तरिक अच्छाई को जब विज्ञान की शक्ति से जोड़ा जाता है तो अधिक से अधिक लोगों का भला होता है..
समाज सेविका डाँ सरिता मौर्य ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए
डॉ कलाम प्रथम ऐसे प्रथम व्यक्ति थे जिनके जीवन में इंजीनियरिंग, राकेट और विज्ञान का क्षेत्र उनकी जीवन यात्रा की चरम सीमा को प्रकट करता है, डॉ कलाम की जीवन यात्रा झोपड़ी से राष्ट्रपति भवन, मछुआरे की झोपड़ी से भारत के राष्ट्रपति पद पर पहुंची। जन-जन के प्रिय, लाखों बच्चों के चाचा, शासकों से लेकर पत्रकारों, वैज्ञानिकों,उद्योगपतियों,व्यापारियों, किसानों सभी को अपनी अपूर्व योजनाओं से प्रेरित करने वाले, कवि, संगीतकार- सभी दृष्टि में अतुलनीय अनुपम व्यक्तित्व भारत रत्न डॉ अब्दुल कलाम के जीवन तथा उनकी योजनाओं को चुने हुए शब्दों में 'फोकस्ड' से परिचय जिसका सन् 2020 तक देश को समृद्ध बनाने में उपयोग किया जा सकता है। देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद पर आसीन होने के बाद डॉ कलाम ने सम्पूर्ण देश का मन जीत लिये। उनके चुनाव के समय आशंका व्यक्त की गई थी कि उन्हें तो राजनीति का ज्ञान ही नहीं है यह कैसे सफल होंगे। बड़े-बड़े धुरंधरों ने यह बात कही थी। परंतु अब आशंका न केवल गलत सिद्ध हो चुकी, बल्कि माना जाने लगा कि वे राष्ट्रपति के कार्य को अनेक नए आयाम देने में भी सफल रहे हैं। डॉ कलाम सभी प्रकार के लोगों से मिलते।सामाजिक विषयों पर चर्चा करने के लिए वे पत्रकार को बुलाते, साथ ही स्कूली बच्चे, अध्यापक,वैज्ञानिक, विकलांग, विकास कार्यकर्ता, डॉक्टर, किसान इंजीनियर इत्यादि को भी बात करने के लिए बुलाते ।राष्ट्रपति भवन की उनकी दिनचर्या भी बड़ी सुयोजित और तेज होती थी वह रोज अठ्ठारह घंटे काम करते थे । डॉ कलाम के द्वारा राष्ट्रपति पद पर दूसरे कार्यकाल के प्रस्ताव को स्वीकार न करते हुए उन्होंने अपनी उर्जा इंडिया विजन 2020 को साकार करने की दिशा में लगाने के लिए फैसला किये।
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