R.N.I. No. UPHIN/2005/17084
मंजुल भारद्वाज
बहुमत की सत्ता चाहती है
ज़हर उगलो
अपने दादा,पड़दादा,मां बाप के खिलाफ़
गला घोंट दो सच का
झूठ बोलो दिन रात
बार बार हज़ार बार
जब तक जनता उसे सच ना समझ ले
मार दो विचार को
इंसान को,इंसानियत को
जला दो विवेक को
नीति को
ध्वस्त कर दो
न्यायालय को
हर न्याय संगत संस्थान को
जहाँ से लोकतंत्र जन्मता है
कुचल दो हर उस ताक़त को
जहाँ से लोकतंत्र मजबूत होता है
विध्वंस इतना विकराल हो
चारों ओर मनुष्यता
मानवता के चीथड़े चीथड़े बिखरें हो
मांस के लोंथड़े बिखरें हो
उसे नोचते रहें ताउम्र
सत्ता पर बैठे गिद्ध!
#बहुमतकीसत्ताचाहतीहै #मंजुलभारद्वाज
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