स्वतंत्रता सेनानी गुमनामी के अंधेरे में जीने के लिए मजबूर फरिश्ता बनकर सामने आए:-बीके सिंह

संजय मौर्य 


उत्तर प्रदेश | जनपद झाँसी , मऊरानीपुर तहसील अंतर्गत सकरार कस्बे में सड़क के किनारे टूटी झोपड़ी में रहने वाले मोहनलाल कुशवाहा


(95 वर्ष ) सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें दिखाया गया कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय मोहनलाल कुशवाहा जी ने अपना सबकुछ देश को दान कर दिया और आज वह गुमनामी के अंधेरे में जीने के लिए मजबूर है । सालों से वह कस्बे में चने बेचकर अपनी गुजर बसर कर रहे थे, किन्तु पिछले वर्ष उनका एक्सीडेंट हो जाने से वह चलने-फिरने में असहाय हो गये। लखनऊ में तैनात


ट्रेफिक इंस्पेक्टर, होमगार्ड्स, लखनऊ बी के सिंह


ने जब इस हकीकत से रूबरू हुए तो कल दिनांक 8 जून को उन्होंने मोहनलाल कुशवाहा की मदद करने के लिए हाथ बढाते हुए


हेमंत कुशवाहा को आदेशित किया ।



तदोपरान्त हेमन्त कुशवाहा कल ही सकरार (झाँसी) के लिए निकल गया और


मोहनलाल कुशवाहा



के पास पहुँच कर उनका हालचाल जाना व उनके दैनिक उपभोग की सभी आवश्यक सामग्री बी0के0सिंह के सहयोग से उनको भेंट की।  ऐसी दरियादिली दिखाने वाले बी के सिंह, मानवता की एक मिशाल कायम की। इस संबंध में पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने 4 मई को ट्विटर पर मोहनलाल कुशवाहा की मदद करने के लिए मुख्यमंत्री से अपील की थी। बी के सिंह के सहयोग से मोहनलाल कुशवाहा की रहने व खाने- पीने की समुचित व्यवस्था कर दी गयी है । दादा जी बहुत ही स्वाभिमानी व्यक्ति हैं ,वह किसी से कुछ भी लेने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन जब मैंने सिंह साहब से लखनऊ से वीडियो कॉल के द्वारा बात कराई तो उनके आंखों से आंसू निकल पड़े और उन्होंने कहा कि बेटा आज तक कोई भी व्यक्ति इस तरह से मदद के लिए आगे नहीं आया था ।सब ने हालचाल पूछा मदद की बात की लेकिन किसी ने किया नही । बेटा ऐसे इंसान से मेरी मुलाकात जरूर करा देना, तब मैंने पुन: सिंह साहब से बात कराई उन्होंने किसी छुट्टी के दिन में आने की बात कही तब दादाजी ने सारा सामान स्वीकार लिया। ऐसे महान व्यक्ति का महान व्यक्ति से मिलन करा कर हेमंत ने अपने आप को धन्य महसूस किया। संजय मौर्य उत्तर प्रदेश


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