ना जाने कब फिर आएंगे वो खुशियों के दिन,जब स्कूलों में शुरू होगा ककहरा..
राधेशयाम प्रसाद
स्कूल खुलने की आस लगाए बच्चे ( महामारी खत्म होने का इंतजार)।
सबके पास ना मोबाइल न कंप्यूटर न टीवी
कैसे होगी गरीबों के बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई
जिस पर देश तथा नागरिक का विकास निर्भर करता है। विद्यालय घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं
लेकिन वह बच्चे कैसे पढ़ पाएंगे जिनके पास न मोबाइल है ना कंप्यूटर घर में टेलीविजन की व्यवस्था है।
इस कोरोना covid-19 जैसी वैश्विक महामारी ने आज शहर, गांव,देहात चारों तरफ पांव पसार रखा है
न गरीब पहचानता है ना अमीर न जाति पहचानता है ना धर्म ना साहब ना मजदूर
इसके सामने हर कोई हो गया है मजबूर
आज पूरा विश्व इसके प्रकोप को झेल रहा है
हमें अपने पर्यावरण को बचाना है
तभी इस महामारी से निजात मिल सकती है
हमें सरकार के गाइडलाइन का पालन करना है।
ऐसे में करें भी तो क्या करें स्कूल जाने वाले नन्हे मुन्ने बच्चे आज घरों में कैद होकर रह गए हैं
स्कूल जाने के लिए लालायित हैं,
करें तो क्या करें घर पर पढ़ने के लिए साधन का अभाव है।
मां-बाप जिनके सामने दो जून की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल है।
ऐसे मुश्किल दौर में लॉकडाउन की वजह से विद्यालय बंद होने के कारण
पढ़ाई लिखाई बर्बाद हो गई इस दौर में
लगभग तीन चार महीने की पढ़ाई लिखाई पीछे छूट गई अभिभावक चिंतित हैं।
विद्यालय कब तक बंद रहेगा और कब खुलेगा इसका पता नहीं
अभी तो हम लोगों को इस महामारी से बचना है
इसके आगे किसी का बस नहीं चलने वाला है
बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता मन में सता रही है।
हमारी सरकार हर संभव मदद और प्रयास कर रही हैं,
हर नागरिक तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है।
बच्चे मां से पूछते हैं,मां कब खुलेंगे स्कूल
,कब हम अपने दोस्तों से मिलेंगे कब हमारी नई नई किताबें मिलेंगी ?
बच्चों का अभिभावको से यही सवाल है।
पूरा विश्वास इस महामारी का उपचार खोजने में लगा हुआ है
और निश्चित ही इसका उपचार खोज निकाला जायेगा
इसी उम्मीद के साथ मां बाप अपने बच्चों को समझा रहे हैं।
इस कोरोना से जंग लड़ने में पूरा विश्व एक साथ है
हम सब मिलकर कोरोना से जंग अवश्य जीतेंगे
आप स्कूल भी जाएंगे समोसे भी खाएंगे
झूला भी झूलेंगे नई नई किताबें होंगी और दोस्तों से जरूर मुलाकाते होंगी।
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