कुशीनगर में नये अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण की स्वीकृति
तथागत बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में नये अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे सहमति दी...
विशेष संवाददाता
लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तथागत बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में नये अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण की स्वीकृति प्रदान करने के लिए वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में केन्द्रीय कैबिनेट ने प्रदेश में दूसरे अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण के प्रति सहमति दी हैइसके पूर्व, केन्द्र सरकार द्वारा जनपद गौतमबुद्धनगर के जेवर में दशकों से लम्बित अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण की मंजूरी दी गयी थी। प्रदेश में पर्यटन के विकास में इस अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण से पूर्वी उत्तर प्रदेश में रोजगार की सम्भावनाएं भी बढ़ेगी। साथ ही, पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास को एक नई गति भी मिलेगीउन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से कुशीनगर की केन्द्रीय स्थिति है लुम्बिनी और बौद्ध सर्किट से जुड़े स्थल महत्वपूर्ण स्थल-कपिलवस्तु, सारनाथ, बोधगया, श्रावस्ती आदि कुशीनगर के समीप हैं। इसके अलावा, भगवान बुद्ध से जुड़े 06 कौशाम्बी, संकिसा भी प्रदेश में हैं।
प्रदेश में पर्यटन के विकास में इस अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की महत्वपूर्ण भूमिका...
राज्य में दूसरे अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की स्वीकृति प्राप्त होने के लिए प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह उत्तर प्रदेश राज्य की बड़ी उपलब्धि है। वर्तमान में प्रदेश में 02 अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, लखनऊ एवं काशी में कार्यशील हैं। प्रदेश की जनसंख्या 23 करोड़ से अधिक है, ऐसे में राज्य के लिए 02 अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों का होना काफी नहीं है।
कुशीनगर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण से पूर्वी उ0प्र0 में रोजगार की सम्भावनाएं बढ़ेगी तथा विकास को नई गति मिलेगी...
राज्य सरकार ने जेवर में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा था, जिसे केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृति दी गयीयह परियोजना विश्व की 100 सबसे अच्छी परियोजनाओं में सम्मिलित है। कुशीनगर में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण का प्रकरण कई वर्षों से लम्बित है। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए 590 एकड़ भूमि का अधिग्रहण भी किया गया है। लगभग 190 करोड़ रुपये की लागत से इस हवाई अड्डे का निर्माण कार्य चल रहा है। अक्टूबर, 2019 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इण्डिया के साथ एक एम0ओ0यू0 के पश्चात, यहां आगे की कार्यवाही की जिम्मेदारी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इण्डिया को दी गयी है। प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए ने कहा कि इससे दक्षिण-पूर्व एशिया के उन सभी देशों, जिनका भगवान बुद्ध से आत्मिक सम्बन्ध है, उन सभी के साथ संवाद स्थापित करते हुए और एयर कनेक्टीविटी बनाते हुए पर्यटन की सम्भावनाएं विकसित होंगी। थाईलैण्ड, सिंगापुर, लाओस, कम्बोडिया, जापान, कोरिया सहित श्रीलंका भी इस एयरपोर्ट से जुड़ेंगे, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
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