कलम का बोलना ज़रुरी है...

मंजुल भारद्वाज


जिस हाथ में कलम हो


उस मुठी का खुलना जरूरी है


माना ख़ामोशी


तूफान समेटे होती है


वक़्त पर बेख़ौफ़


आवाज़ का बोलना ज़रुरी है


झूठतंत्र के विकारी काल में


अँधेरे को मिटाने के लिए


सच लिखती दिखाती कलम का


दीया बन जलना ज़रुरी है!


#कलम #मंजुलभारद्वाज


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