गांधी के रूप में देखने को मिला:- वीके सिंह

संजय मौर्य 


झांसी उत्तर प्रदेश 1962, भारत- चीन युद्ध के पश्चात तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू जी के आवाह्न पर अपना सब कुछ दान कर देने वाले झांसी जनपद अंतर्गत मऊरानीपुर तहसील के सकरार गांव के 95 वर्षीय मोहनलाल कुशवाहा की आज बहुत ही दयनीय स्थिति है। वे प्लास्टिक की फटी पन्नी की टूटी फूटी झोपड़ी में टूटे-फूटे बर्तनों के सहारे जीवन यापन करने को मजबूर है। एक वायरल वीडियो को देखने के बाद मेरा उनकी मेरा मन उनकी मदद करने के लिए व्याकुल हो गया। अपने जानने वाले झांसी के मोठ निवासी छोटे भाई श्री हेमंत सिंह तथा उसी गांव के उनके पड़ोसी रविंद्र कुशवाहा के माध्यम से उनके रहने व खाने की समुचित व्यवस्था करवाया।


लेकिन दादा जी इतने स्वाभिमानी व्यक्ति की उन्होंने सारे सामान इस आश्वासन पर स्वीकार किया कि आप स्वयं एक बार मुझसे मिलने जरूर आएंगे। कल दिनांक 13 जून 2020 को छोटे भाई ओमप्रकाश कुशवाहा (समीक्षा अधिकारी ,उत्तर प्रदेश विधानसभा ) इंजीनियर मानवेंद्र सिंह (झांसी)  गजेंद्र सिंह (झांसी )तथा उसी गांव के सामाजिक एवं जुझारू कार्यकर्ता अखंड प्रताप सिंह सिसोदिया एवं रविंद्र कुशवाहा की मदद से आसपास साफ-सफाई, स्टैंड फैन, एलईडी बल्ब जो (अभीतक अंधेरे में जीवन यापन कर रहे थे) के साथ-साथ दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के द्वारा उपलब्ध कराई गई ट्राई साइकिल इत्यादि समुचित व्यवस्था कराई गई। ट्राई साइकिल को झांसी से सकरार लाने में जितेंद्र कुशवाहा (सी टी ओ ,झांसी ) ने पड़ोसी रविंद्र कुशवाहा की मदद की ।


आपको बता दे दादाजी वर्षो बाद स्नान कर कपड़े पहनेउन्होंने एक अनुरोध किया कि बेटा तुम सबों ने सबकुछ दे दिया एक माइक (लाउडस्पीकर ) दे देते तो हम इस ट्राई साइकिल से घूम घूम कर के देशभक्ति की बातें लोगों तक पहुंचाते। इस उम्र में यह जज्बा देख आंखों से पानी आ गया। दुर्भाग्य से हम सभी ने गांधी जी को तो अपनी आंखों से नहीं देखा,लेकिन उनके विचारों को आत्मसात करने वाले भामाशाह श्री मोहनलाल कुशवाहा जी को आज के गांधी जी के रूप में देखने को मिला


यह घटना ताउम्र याद रहेगी। दादाजी बरसों बाद अपने सर पर टोपी और पूरे कपड़े में ट्राई साइकिल पर बैठकर सचमुच में उस एक हाथ की लाठी लिए हुए गांधी की याद दिला रहे थे।


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