R.N.I. No. UPHIN/2005/17084
राधेशयाम प्रसाद
ब्लॉक तरकुलवा /देवरिया जिले के अंतर्गत खरीफ की फसल धान की रोपाई का समय आ चुका है। धानका बेहन तैयार है कहीं-कहीं बढ़ते हुए तापमान में धान की रोपाई शुरू हो चुकी है तो कहीं पर मानसून के आने का इंतजार किया जा रहा है।किसानों और मजदूरों के चेहरे पर मायूसी है। इस मानसून के आने का इंतजार है,कि मानसून समय पर आएगा। भारत एक कृषि प्रधान देश है इस देश की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है और इस कोरोना संकट काल में इस वैश्विक महामारी में सबसे बड़ा कोई सहारा है तो वह है कृषि,किसानों की फसल का अच्छा उत्पादन बाजार में बेचने पर उचित मूल्य इस वर्ष तो इस संकट काल किसानों के फल और सब्जियां कुछ खेत मे ही खराब हो गई हैं तो बाजार में बंदी के दौरान औने-पौने दामों पर बेची गयी हैं जिससे उनको काफी घाटा और नुकसान हुआ है।अब उनकी आस और उम्मीद खरीफ की फसल धन और मक्का मुगफली तिल की ऊपज पर टिकी है। किसानों के लिए उनकी फसल और गरीब मजदूरों के लिए उनकी मेहनत मजदूरी ही जीवन यापन का का एक सहारा है।इस वैश्विक महामारी में जब सारे रोजी रोजगार कल कारखाने बंद पड़े हैं।
फिर भी इनको अपने मेहनत और मजदूरी पर अटूट विश्वास है कि हम कोरोना से जंग जरूर जीतेंगे,अपने कर्तव्यों का पालन करके ।सबसे बड़े कोरोना योद्धा मजदूर और किसान भी हैं जो अन्न उत्पादन करके हर परिवार का पेट भरते हैं। ऐसे में किसान सोचता है की मेरी फसल अच्छी होगी तो घर का रोजी-रोटी का जुगाड़ हो जाएगा बच्चों की अच्छी पढ़ाई होगी और उनका सपना साकार होगा और मजदूर सोचता है कि मेरे बच्चों का पेट भरने के लिए दो जून की रोटी का जुगाड़ हो जाएगा।अच्छी मजदूरी मिलेगी उसे अपने परिवार का भोजन का खर्च चलेगा।अच्छे कपड़े खरीदेंगे और बच्चों को स्कूल भेजेंगे हमारे बच्चे भी बड़े अधिकारी बनेंगे।इन सबकी निगाहें मानसून के आने का इंतजार कर रही हैं मानसून जब आ जाता है तो किसानों के चेहरे पर मुस्कान छा जाती है चारों तरफ मौसम सुहावना हो जाता है और खेती करने की राह आसान हो जाती है इस इंतजार की घड़ी में किसानों के चेहरे पर शिकन भी है।जैसे कि पिछले साल अत्यधिक बारिश होने के कारण धान की फसल जलमग्न हो गई थी।पिछले साल कहीं धान की रोपाई हुई थी तो कहीं धान की नर्सरी ही पानी में डूब कर सड़ गए थे। किसानों के चेहरे पर अंदेशा है कि कहीं इस साल भी वही स्थिति ना हो जाए। कहीं अत्यधिक बारिश का डर तो कहीं कम बारिश होने की चिंता सता रही है।जिले के कुछ क्षेत्रों में धान की रोपाई शुरू हो चुकी है। लेकिन रोपाई शुरू होने के बाद भी सिंचाई की सुलभ व्यवस्था ना होने के कारण फसलें मुरझाने लगी हैं। इस कोरोना महामारी में लोगों के पास धन का अभाव है। लगातार सिंचाई करना भी संभव नहीं हो पा रहा है।डीजल के दाम भी बढ़ रहे हैं ।और डीजल के बढ़ते हुए दामों से सिंचाई पर काफी प्रभाव पड़ता है। ऐसी दशा में कुछ लोग मानसून के आने और बारिश होने का इंतजार कर रहे हैं। तो कुछ लोग मन मसोसकर रह जा रहें हैं,कि पिछले साल के जैसे फिर से फसल पहले ही बरसात में डूब न जाए। या रोपाई करने बाद बढ़ते हुए तापमान में सूख ना जाये ।उम्मीदे आसमान की तरफ देखते हुए प्रकृति पर टिकी हैं। लगभग पूरे जिले का यही हाल है।
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