R.N.I. No. UPHIN/2005/17084
मंजुल भारद्वाज
आज असफ़लता-सफ़लता के विमर्श में नाटक अनहद नाद -Unheard Sounds of Universe' के इस संवाद को पढ़िए ! यह नाटक कला और कलाकारों की मुक्तता पर है! ....
आपको जीवन जीते हुए ये परिभाषित करना ज़रूरी है की आपके लिए सफलता का क्या अर्थ है ...असफलता के क्या मायने हैं ..क्योंकि यह आपकी जीवन यात्रा है ...आप अपनी जीवन यात्रा पर पहली और अंतिम बार चलते हो ...नेवर बिफोर ..नो वन traveled युअर जर्नी ...आपकी यात्रा आपकी है ...आप से पहले आपकी जीवन यात्रा पर कोई नहीं चला ..नाही चलेगा ..और नाही चल सकता है ...और आपकी जीवन यात्रा की दिशा ...मार्ग ...आपको तय करना है ..आपको बनाना है ..और जिस राते पर कोई नहीं चला वहीँ आपकी मंजिल है ...वही आपका अनूठापन है ..और उन्ही रास्तों के दर्द को अनुभव करना है ..और आपको ही इस दर्द की दवा निकालनी है ..निवारण करना है ..कोई और नहीं कर सकता और यही बात आपको भीड़ से अलग करती है ..लेकिन आप हमेशा रोते रहते हो ...हमेशा भीड़ से घिरे रहते हो ..भीड़ में भीड़ बनकर जीते हो भीड़ का गुमनाम जीवन ...क्योंकि भीड़ आपको नए रास्ते पर नहीं जाने देती ...वो रोकती है ..और आप ज़िन्दगी भर द्वंद्व में रहते हो ...और टू बी और नोट टू बी ..में जीवन गुजार गुमनाम भीड़ में खत्म हो जाते हो ...इस लिए .अपने लक्ष्य ..रास्ते ..मंजिल तय करो और भीड़ के चक्रव्यूह को अपनी कला से भेद कर ..तोड़ कर..नया मोक्ष मार्ग सृजित करो ....और कलाकार के अमृतत्व को प्राप्त करो ..यही पवित्र और सच्चे कलाकार का साध्य और साधना है ! " - रंग चिंतक मंजुल भारद्वाज के क्लासिक नाटक अनहद नाद- Unheard Sounds of Universe का संवाद ! इस नाटक का प्रथम मंचन 29 मई,2015 को हुआ था !
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