पूजा के फूल
सुरेंद्र सैनी
ऐसा भी नहीं की मैं हूँ अमूल^.(बिना जड़ का ) है
दिल के सागर का एक कूल^.(किनारा )
. जबभी दिखे तू बजता है बिगुल^.(तुरही)
तेरे आने की बेचैनियाँ होती हैं.
रहरह चूमता हूँ क़दमों की धूल. चेहरा नूरानी है,
आँखें झुकी सी, सुराही-गर्दन,होंठ पूजा के फूल.
शूल. दुनियावी दुश्वारियां^किसे पसंद,(कठिनता)
तुमही बनाओ कोई बीच का पूल^.(रास्ता)
"उड़ता"छोटा आसमां भरा अंजुल^(दिल का वासी)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें